मुंबई। मुनि श्री का सामूहिक प्रवचन हुआ। दिगंबर मुनि श्री जयंत सागर जी ने कहा जैन धर्म अन्नादि अनंत काल से हे ।इस सृष्टि की रचना किसी ने नहीं की। हमारे अपने कोई विचार नहीं है मेने भी दूसरे के विचार प्रकट किए।हम भगवान महावीर की परंपरा के है। उनका आशीर्वाद ले कर आए। हमारा संयोग बना मुनि श्री के साथ रहने का। आपने कहा मुनि श्री का चातुर्मास तभी सफल है सार्थक है आप उन्हे दो चार संयम धारण करने वाले का उपहार दे। इस दुनिया में किसी का विचार फेला है तो वह भगवान महावीर का। जियो और जीने दो के संस्कार भगवान महावीर ने दिया।
मुनि श्री प्रणुत सागर जी ने कहा। कुलदीप मुनि श्री से मिलकर
प्रसन्नता हुई । पूर्व का ऐसा संयोग रहा आपने तेरापंथ में दीक्षित हुवे हम दिगंबर में। और आज हम दोनो साथ में बैठे हुए हैं। हम महावीर के कुल में हमारा जन्म हुआ। आपने कहा माता पिता जो संस्कार देते व सुख में काम आता गुरु के संस्कार दुख में काम आते। बस गर्व से कहो हम जैन हे। अपने बच्चो को परोपकार की शिक्षा दे।
मुनि श्री कुलदीप कुमार जी ने कहा हम ज्ञान दर्शन चारित्र की आराधना करे। यही आत्मा का सार हे।हमारा असली स्वरूप हमारे भीतर है। तेरापंथी हो या दिगंबर सबका एक ही लक्ष्य साधना करना है।भीतर से आदमी सरल हो तो पंथ विवाद का रूप नही आता। महावीर ने समन्वय सौहार्द का सूत्र दिया उसे खंडित न होने दे। प्रणुत सागर मुनि विनम्र हे अच्छे प्रवचन कार हे अपना विकास करते रहे। फाउंडेशन के पूर्व अध्यक्ष किशनलाल डागलिया ने मुनि श्री का स्वागत किया और साहित्य से सम्मान किया।सभा अध्यक्ष सुरेश डागलिया ने पधारे हुवे सभी दिगंबर समाज के अतिथि का स्वागत किया व संचालन भी किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में फाउंडेशन के कार्याध्यक्ष गणपतलाल डागलिया, मंत्री लक्ष्मीलाल डागलिया,रमेश मेहता,सुखलाल सिंयाल,नरेंद्र पोरवाल, सभा से नितेश धाकड़, अशोक धींग,विनोद बरलोटा, अशोक बरलोटा, कुलदीप बैद, तेयुप अध्यक्ष गिरीश शिशोदिया, मंत्री श्रेयांश मुणोत, उत्सव धाकड़ आदि कार्यकर्ता का श्रम लगा। यह जानकारी सभा मंत्री दिनेश धाकड़ ने दी।
मुनि श्री कुलदीप कुमार जी के सान्निध्य में दिगंबर संघ के प्रसन्नमन 108 प. पु.मुनि श्री प्रणुत सागर जी व मुनि श्री जयंत सागर जी आचार्य महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल कालबादेवी में पधारे
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