डोम्बिवली । उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी स्वामी के पावन सान्निध्य में प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुनि श्री ने प्रेक्षाध्यान का सामूहिक संगान किया।तत्पश्चात सभा अध्यक्ष दलपत जी इंटोदियाका वक्तव्य हुआ।तत्पश्चात परम पूज्य गुरुदेव के मंगल संदेश का चंदनमलजी धींग ने वाचन किया ।मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने फरमाया कि आचार्य श्री तुलसी अवसरज्ञ आचार्य थे वे समय के अनुसार पर धर्मसंघ में नए-नए आयाम देते रहे।
उन्होंने देखा कि समाज के कुछ लोग ध्यान के लिए अन्यत्र जा रहे है जबकि हमारे धर्म संघ में भी ध्यान का प्रचुर साहित्य है आगमों में ध्यान का बहुत बड़ा महत्व बताया है ध्यान उत्कृष्ट तप है। गुरुदेव ने अपने अन्तेवासी शिष्य मुनि नथमल जी से चर्चा की और ध्यान की एक व्यवस्थित विद्या प्रारंभ हो गई उसका नाम प्रेक्षाध्यान रखा गया। गुरुदेव के सानिध्य में प्रेक्षाध्यान के शिविर आयोजित किए गए। लोगों का प्रेक्षाध्यान के प्रति आकर्षण देखकर प्रेक्षाध्यान से संबंधित साहित्य तैयार किया गया ।देश-विदेश में प्रेक्षाध्यान की चर्चा देखकर प्रेक्षा प्रशिक्षक तैयार किए गए जिन्होंने जगह-जगह प्रेक्षाध्यान शिविरों का आयोजन करके जन-जन की जिज्ञासाओं का समाधान किया। प्रेक्षाध्यान का प्रयोग जैन अजैन पुरुषों महिलाओं के लिए ही नहीं विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी, व्यापारी सबके लिए उपयोगी सिद्ध हुआ। मुनि श्री के वक्त्व्य के पश्चात प्रेक्षा प्रशिक्षक विनोद जी ने प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग करवाए। कार्यक्रम में उपस्थित दिल्ली से समागत बाबूलाल जी दुग्गड, रञीत्त जी भंसाली, मनोज जी सुराणा,भुपेंद्र जी सिंघवी, बजरंग जी कुंडलिया,जीवनजी नाहर ने अपने श्रद्धासिक्त विचारों को प्रस्तुत कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया।
डोम्बिवली: प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के उपलक्ष्य में कार्यक्रम
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