- महातपस्वी की मंगल सन्निधि में पहुंचे नेपाल के प्रथम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामबरण यादव
- आप जैसे महान विभूति दिखाते हैं राह : नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति
- प्रेक्षाध्यान पद्धति सभी के लिए हितकारी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
30.09.2024, सोमवार, वेसु, सूरत (गुजरात)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में सोमवार को प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष का भव्य एवं आध्यात्मिक शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में नेपाल के प्रथम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामबरण यादव भी उपस्थित हुए। प्रेक्षाध्यान के पचासवें वर्ष के प्रारम्भ के अवसर पर आचार्यश्री की प्रेरणा से प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष का डायमण्ड व सिल्क सिटि सूरत के महावीर समवसरण से प्रारम्भ होकर वर्ष 2025 के 30 सितम्बर तक चलेगा।
महावीर समवसरण में सोमवार को मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के लिए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी पधारे तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वीवृंद ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। सूरत चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा, अध्यात्म साधना केन्द्र के डायरेक्टर श्री केसी जैन, प्रेक्षा इण्टरनेशनल के अयध्यक्ष श्री अरविंद संचेती, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ ने अपनी-अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष शुभारम्भ के अवसर पर उपस्थित जनता को प्रेक्षाध्यान के विषय में प्रेरणा प्रदान की। नेपाल के पूर्व प्रथम राष्ट्रपति डॉ. रामबरण यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन करने अवसर प्राप्त हो रहा है। अभी पूरा विश्व घृणा के भावों को दूर करने के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसी स्थिति में आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे महान संत की परम आवश्यकता है। मैं इस पावन अवसर पर मैं शुभकामना देता हूं कि भगवान महावीर की कृपा सभी पर बना रहे। मैं आचार्यश्री के विचारों से प्रभावित हूं और उनके दर्शन करने यहां आया हूं। आप जैसे विभूति ही हमें राह दिखा सकते हैं। प्रेक्षा इण्टरनेशनल के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि कुमारश्रमणजी ने इस वर्ष के शुभारम्भ के संदर्भ में आचार्यश्री द्वारा प्रदान किए आशीर्वचनों का वाचन किया।
तदुपरान्त युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि अध्यात्म की साधना में शरीर के प्रति ममत्व भी छोड़ने की बात होती है। आदमी का ममत्व पदार्थों से होता है तो उससे भी ज्यादा ममत्व आदमी का अपने शरीर से भी हो सकता है। इसलिए अध्यात्म की साधना में अपने शरीर के प्रति ममत्व नहीं रखना, उच्च कोटि की साधना होती है। अध्यात्म की साधना में अहंकार और ममकार का भाव त्याज्य माना गया है।
आज से प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष प्रारम्भ हो रहा है। एक वर्ष की कालावधि है। सन् 1975 में परम पूज्य गुरुदेव तुलसी का ग्रीन हाउस में हो रहा था और वहां इस पद्धति का नामकरण हुआ था-प्रेक्षाध्यान। दुनिया में अनेक नामों से ध्यान पद्धतियां चल रही हैं। हमारे तेरापंथ धर्मसंघ में परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी के सान्निध्य में प्रारम्भ होने वाले इस कार्य में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी (तत्कालीन मुनि नथमलजी स्वामी ‘टमकोर’) मुख्य व्यक्ति थे। इसके प्रधान समायोजक आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को देख सकते हैं। प्रेक्षाध्यान पद्धति हमारे धर्मसंघ का एक योगदान है। जैन विश्व भारती के तुलसी अध्यात्म नीडम में शिविर लगते तो आचार्यश्री महाप्रज्ञजी वहीं विराज जाते और ध्यान का प्रयोग कराते। अध्यात्म साधना केन्द्र भी ध्यान-साधना का केन्द्र रहा है। अहमदाबाद का प्रेक्षा विश्व भारती भी प्रेक्षाध्यान से जुड़ा हुआ है। अनेकानेक विदेशी भी इस उपक्रम से जुड़े हुए हैं। इन वर्षों में प्रेक्षाध्यान का रूप काफी निखरा हुआ प्रतीत हो रहा है। इस पद्धति से कोई भी जैन-अजैन व्यक्ति जुड़ सकता है। इस प्रकार देश-विदेश में हुआ है। आज सोश्यल मिडिया और ऑनलाइन क्लास आदि के माध्यम से अधुनिक उपकरणों से सुविधा हो गई है। आज डॉ. रामबरणजी यादव का आगमन हुआ है। नेपाल में मिलना हुआ था। प्रेक्षाध्यान कायोत्सर्ग के रूप में वृद्ध लोगों के लिए भी काफी सहायक भी है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का स्मरण करें, गुरुदेव तुलसी को याद करें। सभी प्रेक्षाध्यान का यथासंभव प्रचार-प्रसार के साथ करने का भी प्रयास करना चाहिए। यह वर्ष अच्छे ढंग से चले, ऐसी मंगलकामना।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को कुछ समय के लिए प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया। प्रेक्षाध्यान के शिविरार्थियों को आचार्यश्री ने उपसंपदा प्रदान की। कार्यक्रम में लिम्बायत विधायक श्रीमती संगीताबेन पाटिल ने आचार्यश्री के दर्शन करने के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन प्रेक्षा इण्टरनेशनल के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि कुमारश्रमणजी ने किया।