- प्रेक्षाध्यान की साधना है – आत्म दर्शन की दिशा में प्रस्थान साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा।
विकास धाकड़ / कांदिवली। साध्वी श्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा एवं निर्देशन से आयोजित अष्टदिवसीय आवासीय शिविर कांदिवली तेरापंथ भवन में सानन्द चल रहा है। शिविर के पांचवें दिन प्रेक्षा प्रवचन करते हुए प्रबुद्ध प्रवचनकार साध्वीश्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- “आत्मदर्शन करने की दिशा में प्रस्थित शिविराधियों के लिए यह अष्टदिवसीय यात्रा अभूतपूर्व है। प्रेक्षाकल्याण वर्ष में इस प्रकार का आवासीय शिविर प्रथम बार श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन के तत्त्वावधान में हो रहा है, यह भी सौभाग्य की बात है”। उपसम्पदा-. सूत्रों के संदर्भ में शिविराधियों को मिताहार की विवेचना करते हुए साध्वी श्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- “इस साधना के लिए शरीर की स्वस्थता परमावश्यक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन अपेक्षित होता है, पर ध्यान यह देना है कि भोजन कब और कैसे करें ? शरीर में भोजन करने और पचाने का पूरा सिस्टम है। जब पाचन तंत्र स्त्राव छोड़ता है, उस वक्त भोजन करना चाहिए, बिना भूख के भोजन करना रोग को निमंत्रण है। भोजन करने की भी साधना होती है। धैर्य के साथ, भाव किया के साथ भोजन करना चाहिए। साधक, साधिकाओं को यह हो कि हम क्या खा रहे हैं। चबाकर भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकर है।
शिविराधियों को साध्वीश्री जी ने डिजिटल डिटाॅक्स की विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- कम से कम भोजन करते समय मोबाईल का प्रयोग नहीं होना चाहिए । रात्रि 11 बजे के बाद प्रातः 7 बजे तक और गाड़ी चलाते वक्त भी मोबोईल से बचने का सलक्ष्य प्रयास हो। यह आठ दिनों की साधना, जीवन की दिशा बदलने वाली बने। अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित बनाने का संकल्प स्वीकार करें। साध्वीश्री जी की प्रेरणा से शिविराधियों ने संकल्प ग्रहण किए।
उपासक एवं वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दुगड़ ने कहा की साध्वीश्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर अनेक भाई बहन अध्यात्म की महनीय साधना कर रहे है। यह शिविर मुंबई का अपूर्व इतिहास है। शारीरिक मानसिक भावनात्मक विकास की दिशा में बढ़ने के लिए यह अमोध वरदान साबित हो रहा है। आपके दिशा निर्देशन से सभी शिविरार्थी प्रसन्नता की अनुभूति कर रहे हैं।
साध्वी राजुल प्रभा जी ने -” देव दो हस्तावलम्बन, आत्म का साक्षात पाए” गीत का संगान किया। साध्वी अतुल यशा जी- ने मंगल-भावना का प्रयोग करवाया। साध्वी वृंद एवं प्रेक्षा-प्रशिक्षकों के द्वारा निर्धारित कक्षाएं व्यवस्थित संचालित की जा रही है।