- कर्मों के शिथिलीकरण का उपाय है – “तपस्या” साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा
विकास धाकड़/कांदिवली। तेरापंथ भवन, कांदिवली में साध्वीश्री डॉ. मंगल प्रज्ञाजी के पावन सान्निध्य में चारकोप प्रवासी, आमेट- निवासी पवन बोहरा धर्मपत्नि कमलेश बोहरा तथा निधिका बोहरा सुपुत्री निर्मल बोहरा के” मासखमण तप ” का अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंगल उद्बोधन में साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- साधना की धुरी आत्मा होती है। यह साधना का केन्द्रीय तत्व है।
जब आत्मा का उर्ध्वगमन होता है – तब ही आत्मा का विकास होता है। आत्मा की यात्रा ऐसी यात्रा है – जिसे न व्यक्ति नीचे गिरा सकता है न ऊंचा उठा सकता है. यह सहज प्रकृति है। जिस प्रकार भारीपन स्वभाव के कारण पत्थर के निचे और हल्केपन के कारण रुई ऊपर की ओर गति करते हैं। इसी प्रकार कर्मों के भारीपन के कारण आत्मा उर्ध्वगामी न बनकर अर्धागामी बन जाती है। तपस्या एक ऐसा उपक्रम है जिसकी आराधना से आत्मा उर्ध्वगामी बन सकती है। कर्मों के शिथिलीकरण का उपाय है – तपस्या, जो कर्म बन्ध जाते हैं – उनको भोगना ही पड़ता है। उनसे छुटकारा नहीं मिल सकता। तपस्या ऐसी साधना है जिससे आत्मा शुद्ध बनती है और कष्ट हारी बनती है आत्मबल और संकल्प बल से तपस्या संभव है। पर मनोबल बना रहना और संकल्प बल दृढ़ रहना मुश्किल है।
आज दो मासखमण साधिका पवन और निधिका बोहरा संकल्प के साथ सोपान चढ़ रही है। लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रस्थान कर रही है वे निरंतर आगे बढ़ती रहे ।
कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीवृंद द्वारा ” वीतराग वंदन ” से हुआ बोहरा परिवार की ओर से कमलेश बोहरा ने अपने भाव प्रदर्शित किए। तेरापंथ महिला मंडल कांदिवली और बोहरा परिजन ने तप अभिवंदना में अलग-अलग स्फुटिक संगान किए। साध्वी प्रमुखा श्री जी द्वारा प्रदत्त पावन संदेशों का वाचन तेरापंथ सभा कांदिवली के मंत्री रतन लाल सिंघवी व युवक परिषद अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने किया। अभिनंदन पत्र का वाचन महिला मंडल अध्यक्ष विभा श्रीश्रीमाल और मंत्री नीतू दुगड़ ने किया। साध्वी सुदर्शन प्रभा, साध्वी अतुलयशा, साध्वी राजुलाप्रभा, साध्वी चैतन्यप्रभा, साध्वी शौर्य प्रभा अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया।महिला मंडल ने “लघुनाटिका” प्रस्तुत की।
तेरापंथी सभा,युवक परिषद व महिला मंडल द्वारा तपस्विनी बहनों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली के मंत्री पंकज कच्छारा ने किया।