धुलिया। गौराई कृषि पॉलिटेकनिक वाकोद विशाल सभागार में उपस्थित महाविद्यालय छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने कहा-“भारत का हर युवा राष्ट्र निर्माण का सपना देखता है पर उस सपने को सच में बदलने के लिए आवश्यक है कि हर विधार्थी अपना आत्म निरीक्षण करें। यदि वह अपने व्यक्तित्व को पूर्णता के बिंदु की और ले जाता है तो सचमुच राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देता है” व्यक्तित्व निर्माण आधार है राष्ट्रीय निर्माण का विषय को विश्लेषित करते हुए साध्वीश्री ने कहा -विधार्थी केवल शारीरिक, बौद्धिक व्यक्तित्व निर्माण को ही अपने जीवन का ध्येय न समझें, अपितु मानसिक और भावात्मक व्यक्तित्व निर्माण पर भी अपना ध्यान केंद्रित करें। इसके लिए आहार शुद्धि और व्यसन मुक्ति के संकल्प के साथ विधार्थी अपने आपको संकल्पित करें। अभिभावकों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का वें कभी दुरूप्रयोग न करें। अपने लक्ष्य के प्रति निरंतर आगे बढ़ने के लिए एकाग्रता ,स्मृति की प्रखरता तथा तनाव मुक्ति आवश्यक है। व्यक्तित्व विकास के प्रायोगिक पहलुओं को समझाते हुए साध्वीश्री जी ने विधार्थियों को महाप्राण ध्वनि,ज्योति केंद्र प्रेक्षा आदि के प्रयोग भी करवाएँ! सभी विधार्थियों ने पूर्ण मनोयोग के साथ इस प्रयोग को करते हुए आनंद का अनुभव किया।
महाविद्यालय के प्रो. एम. पी. भंगाले ने साध्वीश्री जी के प्रति अहोभाव प्रकट करते हुए विधार्थियों को प्रयोग की निरंतरता बनाए रखने की प्रेरणा दी। प्रंबधक विनोद सिंह जी राजपूत ने प्रांसगिक अभिव्यक्ति देते हुए कहा – आज साध्वीश्री जी के प्रवचन से विधार्थियों को सम्यक् दिशा बोध मिला है। इन अनमोल शिक्षाओं को अपने जीवन से जोड़कर विधार्थी सचमुच व्यक्तित्व में नया निखार ला सकते हैं।जैन साध्वीयां हमारे लिए सादा जीवन : उच्च विचार का आदर्श रूप हैं। विधार्थियों ने संकल्पमय उपहार समर्पित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री लावण्यप्रभाजी द्वारा समुच्चारित गीत से हुआ।
व्यक्तित्व निर्माण आधार है,राष्ट्रीय निर्माण काः साध्वीश्री निर्वाणश्री जी
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