- आचार्य श्री तुलसी की डिक्शनरी में नहीं था आलस्य शब्द : साध्वी श्री मंगल प्रज्ञा
विकास धाकड़/कांदिवली। तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वी श्री डॉक्टर मंगल प्रज्ञा जी के पावन सानिध्य में विकास महोत्सव का आयोजन किया गया । धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी श्री डॉ मंगल प्रज्ञा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने विकास की जो कीर्ति गाथा लिखी हैl
सृजनशील कृतित्व की कहानी लिखी है उसके पीछे कारण है जीवन भर काम करूंगा यह फौलादी चिंतन और गतिशीलता ।
उनकी डिक्शनरी में आलस्य नाम शब्द ही नहीं था उनके कार्य कौशल से अवदानों से तेरापंथ जैन धर्म का पर्यायवाची बन गया हर कार्य चिंतन पूर्वक करते तेरापंथ के अस्टमाचार्य श्री कालूगणी जी के महत्वपूर्ण वरदान थे आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी, डॉक्टर मंगल प्रज्ञा जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा मुझे लंबे समय तक गुरुदेव श्री तुलसी के श्री चरणों में रहकर शिक्षामृत पान करने का सौभाग्य मिला प्रेरणा मिली उन्होंने हमेशा हौसला बुलंद किया।
साध्वी श्री सुदर्शन प्रभा जी साध्वी श्री अतुल यशा जी साध्वी श्री राजुल प्रभा जी साध्वी श्री चैतन्य प्रभा जी साध्वी श्री शौर्य प्रभा जी जी ने ओम तुलसी की संगीतमय प्रस्तुति दी। मनोहरलाल मॉदरेचा,रतन देवी बाफना राजू देवी वेद,छवि संचेती नियति सेठिया,अशोक हिरण,मुकेश कुमठ,राकेश सिंघवी आदि एवं महिला मंडल ने सुंदर प्रस्तुति दी।