मुंबई। दक्षिण मुंबई पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री ने नमस्कार महामंत्र से किया। मुनि श्री मुकुल कुमारजी ने वाणी संयम पर कहा शब्द की साधना ब्रह्म की साधना करना जैसा है । सच्ची अच्छी हितकारी वाणी का प्रयोग सर्वोत्तम तप है। वाणी गंगा जल की तरह निर्मल हे। गुण वान व्यक्ति के शब्द दीपक की तरह पवित्र होता हे। वाणी का स्तर नीचा नहीं होना चाहिए। पहले सोचो फिर बोलो बिना विचारे बोले हुए शब्द विध्वंस हो जाते हे। आचार्य महाश्रमण जी से सीखना चाहिए अनावश्यक शब्दो को ह्रदय में स्थान नही देना है। महापुरुष अपने शब्दो का कभी भी दुरुपयोग नहीं करते। शब्द हमारे जीवन में क्रांति कारी परिवर्तन का ला सकते है।
मुनि श्री कुलदीप कुमारजी ने भगवान पार्श्व नाथ के 250 वर्ष बाद भगवान महावीर का शासन काल प्रारंभ हुआ। हर आत्मा को परमात्मा बनने के लिए सम्यक पुरुषार्थ करना पड़ता है। आत्मा के कर्मो के मल को छेदन करती है। वो आत्मा वीतराग बनती है। भगवान महावीर के पहले भव नयसार से लेकर 26 वे भव तक का विस्तार से वर्णन अनेक घटनाएं के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई।
दक्षिण मुंबई सभा अध्यक्ष सुरेश डागलिया ने मुंबई सभा अध्यक्ष माणक धिंग,मंत्री दिनेश सूतरिया, सुरेंद्र कोठारी ,नवरत्न गन्ना अभातेयुप के राष्ट्रीय सहमंत्री भूपेश कोठारी,राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नरेश सोनी, विकास कोठारी, प्रशांत तातेड़ ,महेश परमार,मयंक धाकड़ तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनीष कोठारी ,राकेश मेहता, कमल मेहता,नीरज मोटावत,प्रशांत परमार, कमल धेरेवा, विकास हिरण, कैलाश बाफना आदि का स्वागत किया। आचार्य महाप्रज्ञ विद्या निधि फाउंडेशन के फाउंडेशन के अध्यक्ष कुंदनमलजी धाकड़, कार्याध्यक्ष गणपतजी डागलिया, मंत्री लक्ष्मीलालजी डागलिया, सुरेशजी मेहता एवं रमेशजी मेहता, तेरापंथी सभा, तेयुप, महिला मंडल, अणुव्रत क्षेत्रीय संयोजक दक्षिण मुंबई के कार्यक्रम का अथक श्रम कार्यक्रम को सफल बनाने में लग रहा है। यह जानकारी सभा मंत्री दिनेश धाकड़ ने दी।
दक्षिण मुंबई में “वाणी संयम दिवस” मनाया गया
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