बोईसर। बोईसर पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस 4 सितंबर 2024, बुधवार को वाणी संयम दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ उपासिका श्रीमती निर्मला जी चंडालिया द्वारा नमस्कार महामंत्र से किया गया। आपने वाणी संयम पर कहा शब्द की साधना ब्रह्म की साधना करना जैसा है । सच्ची अच्छी हितकारी वाणी का प्रयोग सर्वोत्तम तप है। वाणी गंगा जल की तरह निर्मल है। गुण वान व्यक्ति के शब्द दीपक की तरह पवित्र होता है। वाणी का स्तर नीचा नहीं होना चाहिए। पहले सोचो फिर बोलो बिना विचारे बोले हुए शब्द विध्वंस हो जाते हे। आचार्य महाश्रमण जी से सीखना चाहिए अनावश्यक शब्दो को ह्रदय में स्थान नही देना है। महापुरुष अपने शब्दो का कभी भी दुरुपयोग नहीं करते।शब्द हमारे जीवन में क्रांति कारी परिवर्तन का ला सकते है।
सहयोगी उपाशिका श्रीमती रेखा जी बरलोटा ने कहा कि जितना जरूरत हो उतना ही बोलना चाहिए ने भगवान पार्श्व नाथ के 250 वर्ष बाद भगवान महावीर का शासन काल प्रारंभ हुआ। हर आत्मा को परमात्मा बनने के लिए सम्यक पुरुषार्थ करना पड़ता है। आत्मा के कर्मो के मल को छेदन करती है। वो आत्मा वीतराग बनती है। उपाशिका श्रीमती विमला जी कोठारी ने कहाभगवान महावीर के पहले भव नयसार से लेकर 26 वे भव तक का विस्तार से वर्णन अनेक घटनाएं के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई। बोईसर महिला मंडल की गीतिका के द्वारा सुंदर प्रस्तुति दी गई। यह जानकारी साहिल चंद्र प्रकाश सोलंकी बोईसर ने दी।
बोईसर में “वाणी संयम दिवस” का आयोजन
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