- वाणी-संयम करती है- समस्याओं का समाधानः साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा
विकास धाकड़/कांदिवली। साध्वीश्री डॉ. मंगल प्रज्ञा जी के सान्निध्य में आज का दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया। पर्युषण साधना में संलग्न विशाल जन-समुदाय को सम्बोधित- करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा- संवत्सरी महापर्व की अगवानी में हमारे कदम निरंतर गतिशील है, पर मन अध्यात्म-साधना में सरोबार नजर आ रहा है। आज का दिन वाणी संयम का संदेश लेकर उपस्थित है। सभी को यह चिन्तन करना है- हम कब बोलें ? क्यों बोलें ? क्या बोलें ? कैसे बोलें और कहां बोलें। व्यवहार जगत में अधिकतर समस्याएं वाणी के असंयम के कारण आती है। ध्यान देना चाहिए कोई बात कह रहे हैं उसका तरीका क्या है? किस लहजे में हम बात कर रहे हैं, गलत तरीका व्यवहार को दूषित कर देता है। वचन रूपी शक्ति मिली है, इसका उपयोग कैसे करें ?
यह सत्य है जैसा व्यवहार अभिभावक करते हैं – भावी पीढ़ी में वे ही संस्कार संक्रान्त होते है। आवश्यक है – संस्कारों की धरती मजबूत होती रहे। साध्वीश्री डॉ. मंगल प्रजा जी ने कहा- हमें कीमती जीवन मिला है इसका आध्यात्मिक लाभ उठाते रहें। बांस नहीं बासूरी बने।
मलाड़ युवक परिषद के मंगल संगान से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। साध्वी सुदर्शन प्रभा जी ने, वाणी- संयम विषय पर वक्तव्य दिया। साध्वी वृन्द ने “जीवन का आभूषण वाणी” सस्वर सामूहिक संगान किया। और “भाटा बना भगवान हम शक्तिशाली हैं “- भाव पुष्ट किये।
साध्वीश्री जी की प्रेरणा से 200 सें अधिक चन्दनबाला के तेले हुए। सभी साधक / साधिकाओं को प्रत्याख्यान करवाया, भगवान महावीर जीवन यात्रा को आगे बढ़ाते हुए ‘विश्वविभूति ‘ का भव बताया। तेरापंथ भवन में अखण्ड जप मे संभागी पूर्ण उत्साह के साथ जप-साधना में संलग्न है। रात्रिकालीन इतिहास के बोलते पृष्ठ अंतर्गत महातपस्वी तप तेजस्वी संत गुलहजारी जी का जीवन वृत्त सुनाया जाएगा। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी अतुलयशा जी ने किया।