मुंबई। वात्सल्य के महासागर आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्या साध्वी श्री शकुन्तला कुमारी जी के सान्निध्य में भाई-भाई, देवरानी जेठानी की कार्यशाला आयोजित हुई।कार्यशाला का शुभारम्भ भाई भाई के जोड़ों से हुआ। देवराणी- जीठानी को किस दृष्टि से परिवार में जीना चाहिए इसकी सजीव व शानदार झलक प्रस्तुत की। साध्वी श्री रक्षित यशा जी ने रोचक प्रश्नों के माध्यम से परिवार में जीने की कला बताई। साध्वी श्री संचितयशा जी ने कहा- परिवार की सुन्दरता फर्नीचर या सजावट से नहीं बल्कि देवराणी जिठानी और भाई-भाई के प्रेम, त्याग, सहिष्णुता और संतुष्टि से होती है।
साध्वी श्री शकुन्तला कुमारी जी ने अभिभाषण में कहा- जितने प्यार, सम्मान और मिठास से हम दूसरों से बोलते हैं, उतने ही प्यार और सद्भाव से अगर हम अपने घर के सदस्यों में बोलना शुरु कर दें तो हमें स्वर्ग का सुख अपने ही घर-परिवार में मिलना शुरु हो जाएगा। आप अपनी देवराणी-जिठानी से हंसते हंसते बोले । कभी भी कुछ कहा सुनी हो जाये तो उसे मन में नहीं रखे। तुरंत वैसे ही बोलते रहे जैसे पहले बोलते थे जिससे घर में शांति रहेगी। भाई-भाई सुबह उठकर गले मिले, एक टाइम साथ में खाना खाये तो घर में अशांति होगी ही नहीं।
रेखा कोठारी और नेहा कोठारी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। गीतिका में वडाला परिवार से महेंद्र वडाला, कमलेश वडाला, मुकेश वडाला, गणपत वडाला, सुनील वडाला, हितेश वडाला, कल्पेश वडाला।
कोठारी परिवार से मुकेश कोठारी,अरविंद कोठारी,शैलेश कोठारी और रॉकी कोठारी ने प्रस्तुती दी।डागलिया परिवार से भूपेंद्र डागलिया एवं दीपक डागलिया ने सभी का स्वागत किया।लघु संवाद वडाला परिवार की देरानी जेठानी नीता,वनिता,सारिका,हंसा और अंकिता ने अपने भाव दर्शाए।। ते यू प विले पार्ले के अध्यक्ष महेंद्र जी वडाला ने आभार ज्ञापन करते हुए कहा के ऐसे कार्यशालाओं का समय समय पर होती रहनी चाहिए,जिससे रिश्तों की सार संभाल होती रहें।
विलेपार्ले में भाई-भाई देवराणी-जिठाणी सेमिनार “तू मेरा- मैं तेरा” का आयोजन
Leave a comment
Leave a comment