- नमस्कार महामंत्र से होता है – “आत्म रक्षा कवच का निर्माण”- साध्वी श्री डॉ. मंगलप्रज्ञाजी
मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वी श्री डॉ. मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में “नमस्कार महामंत्र – आत्म रक्षा कवच” अनुष्ठान का भव्य आयोजन तेयुप कांदिवली और मालाड के तत्वावधान में आयोजित हुआ। अनुष्ठान में संभागी सैंकड़ों साधक, साधिकाओं को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- नमस्कार महामंत्र महा- मृत्युंजय जप है। इसकी आराधना विघ्न-बाधाओं को दूर करतीं हैं आधि, व्याधि, उपाधि निवारक यह विशद मंत्र है। शक्ति सम्पन्नता के लिए इस महामंत्र की आराधना की जाती है। इतिहास में ऐसी अनेकों घटना, प्रसंग साक्षी है – इस मंत्र की एकलयता से साधको ने अनेक रिद्धियां-सिद्धियां प्राप्त की है। आवश्यकता इस मंत्र की एकान्तता से साध्य साधना की जाए। हमें यह महामंत्र विरासत में मिला है। इस महामंत्र की साधना से प्राणशक्ति वृद्धिंगत होती है। मंत्र योग की भाषा में महामंत्र को कुंडलिनी जागरण के लिए नित प्रति जीवनचर्या के साथ जोड़ना चाहिए।
साध्वीश्री जी ने कहा- तात्त्विक दृष्टि से चिन्तन करें तो हमारा तैजस शरीर मंत्र साधना की तेजस शक्ति को सक्रिय बना देती है। नमस्कार महामंत्र से जैनाचार्यों ने हजारों मंत्र बनाएं। आत्मा की सुरक्षा शरीर की सुरक्षा के लिए नमस्कार मंत्र महान औषध है। जैन, समुदाय सौभाग्यशाली है, जिन्हें नमस्कार महामंत्र खजाने के रूप में मिला है। साध्वीश्री जी द्वारा संभागियों को अनुष्ठान करवाया गया। संभागियों ने शक्ति संप्रेषण महसूस किया। तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली के अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने स्वागत-स्वर प्रस्तुत किए। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी अतुलयशा जी, साध्वी राजूलप्रभा जी, साध्वी चेतन्यप्रभाजी एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने साध्वी श्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी द्वारा रचित ‘परमेष्ठी स्तवन’ का संगान किया।
जयन्ती मादरेचा तेयुप अध्यक्ष मालाड ने आभार ज्ञापन की पवित्र परम्परा का निर्वहण किया। इस अवसर पर जैन संस्कृति संकाय द्वारा आयोजित जैन विद्या परीक्षा के बैनर का लोकार्पण किया। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका संगीता इंटोदिया ने विचार व्यक्त किए।