दिनेश कुमार।।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘मल्हार’ धार्मिक विभेद एवं पुरुष प्रधान समाज की बेड़ियों में जगड़ी स्त्रियों के दर्द को बयां करते हुए रिश्तों की बहुत ही प्यारी कहानी कहती हुई ऐसी फिल्म है, जो बहुत ही कम देखने को मिलता है। समाज में आज भी महिलाओं को दोयम दर्जे का माना जाता है तथा अपने धर्म से इतर प्रेम या शादी करने वाली लड़कियों को समाज में ऐसी झेलनी पड़ती, जो उनके लिए दर्द समंदर सा होता है। ऐसे में अधिकतर लड़कियों के पास मौत को गले लगाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं सूझता। गुजरात की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘मल्हार’ में शारिब हाशमी, अंजली पाटिल, ऋषि सक्सेना, बाल कलाकार श्रीनिवास पोकले, विनायक पोतदार के अलावा अक्षता आचार्य, मोहम्मद समद आदि कलाकारों की मुख्य भूमिका है जबकि फिल्म का निर्देशन विशाल कुंभार ने किया है। वी मोशन पिक्चर के बैनर तले बनी फिल्म के निर्माता प्रफुल प्रसाद हैं।
कहानीः फिल्म “मल्हार” गुजरात के एक गांव की कहानी है, जिसमें एक साथ तीन कहानियां चलती हैं, सभी का अलग-अलग विषय और परेशानी है। पहली कहानी है जिसमें भैरव (श्रीनिवास पोकले) और जावेद (विनायक पोतदार) दो दोस्त हमेशा साथ रहते हैं। भैरव को सुनाई नहीं देता जिसकी वजह से वह कान में मशीन लगाकर रखता है। जबकि जावेद का मन पढ़ने लिखने में नहीं लगता। दोनों अधिकतर समय साथ रहते हैं। एक दिन तालाब में नहाते हुए भैरव के कान की मशीन पानी में गिरकर खराब हो जाता है। भैरव यह बात घर में नहीं बताता जबकि जावेद उसे नई मशीन दिलाने के लिए परेशान रहता है। तमाम जुगत करता है। दोनों को एक दूसरे की काफी फिक्र रहती है।
दूसरी कहानी है मोहन (शारिब हाशमी) की जो हस्तशिल्प के सामानों को महिलाओं से बनवाता है तथा मेले में बेचता है। केसर (अंजलि पाटिल) उसके लिए कढाई बुनाई करने के साथ ही घर पर छोटी सी दुकान भी चलाती है। वह केसर को काफी पसंद करता है, लेकिन अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाता। केसर गांव के मुखिया की बहू तथा लक्ष्मण (ऋषि सक्सेना) की पत्नी है। केसर की शादी लक्ष्मण से हो तो जाती है लेकिन लक्ष्मण उसमें कोई दिलचस्पी नहीं लेता, यहां तक कि शादी को काफी समय बीतने के बावजूद केसर को छूने की बात तो दूर, उसे देखता तक नहीं। जिसे लेकर केसर काफी परेशान रहती है। चुंकि जल्द से बच्चा पैदा करने का दबाव सास-ससुर द्वारा दिया जाता रहा है, इसे लेकर वह काफी परेशान रहती है। इस दौरान केसर को छोड़ने और लक्ष्मण की दूसरी शादी करवाने की बात भी घर में चलने लगती है। इसी बीच अचानक घर वालों को पता चलता है कि केसर पेट से है और घर में खुशियां छा जाती है।
तीसरी कहानी है जतिन (मो. समद) और जाश्मीन (अक्षता आचार्य) की। जतिन गांव के ही सेठ का बेटा है, जिसका दूध का व्यवसाय है। जबकि जाश्मीन गांव के ही कब्र खोदने का काम करने वाले मुस्लिम परिवार की बेटी तथा जावेद की बहन है। जतिन और जाश्मीन एक दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन उनके प्रेम में सबसे बड़ी बाधा उनका धर्म है, जिसकी वजह से वे छुप – छुप कर मिलते हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा।
फिल्म आगे बढ़ती है, भैरव और जावेद कान की मशीन के लिए लंबी दूरी तय करके शहर पहुंच जाते हैं, जहां देखते हैं जावेद की बहन जाश्मीन जतिन के साथ वहां मौजूद है और दोनों एक दुकान में एक साथ कुछ खाते हुए साथ में समय बिता रहे हैं। भैरव और जावेद को देखकर दोनों डर जाते हैं लेकिन ये दोनों भी जतिन और जाश्मीन को देखकर डर जाते हैं, क्योंकि चारों घर पर बिना बताए चोरी से यहां आए हुए थे। इधर मोहन को एक दिन केसर रात को अपने घर बुलाती है जबकि दूसरे दिन जब वह केसर से प्रेम का इजहार करता है तो केसर उस पर भड़क जाती है और कहती है कि यदि तुमने मुझे हाथ लगाया तो बहुत बुरा हो जाएगा। तीनों कहानियों के साथ फिल्म आगे बढ़ती है, इस बीच जतिन के पिता को उसके और जाश्मीन के प्रेम के बारे में पता चल जाता है और वह इसका सारा आरोप जाश्मीन पर मढ़ते हुए उसके पिता को धमकी देता है कि अपनी बेटी की कहीं शादी कर दो अन्यथा गांव छोड़कर जाना पड़ेगा।
कहानी में और भी कई मोड़ आते हैं, उन्हें जानने समझने के लिए एक बार फिल्म ‘मल्हार’ थिएटर में या ओटीटी पर जरूर देखिए। मेरा मानना है कि फिल्म देखकर आप भी बिना इसकी तारीफ किए नहीं रह पाएंगे।
अभिनय, निर्देशन एवं संगीतः फिल्म में बाल कलाकार के रूप में श्रीनिवास पोकले व विनायक पोतदार की जबरदस्त अभिनय देखकर तारीफ जरूर करेंगे। मोहन के किरदार में शारिब ने भी अपनी अच्छी छाप छोड़ी है जबकि केसर के रूप में अंजलि पाटिल ने शानदार अभिनय किया है। ऋषि सक्सेना को करने के लिए कुछ खास नहीं था फिर भी अच्छे लगे हैं जबकि जतिन के किरदार में मोहम्मद समद तथा जाश्मीन के किरदार में अक्षता आचार्य ने बेहतरीन अभिनय किया है। बाकी कलाकारों ने भी अपने अपने किरदार में बढ़िया काम किया तथा खूब जमे हैं।
अगर निर्देशन की बात करें तो यही फिल्म की जान है। विशाल कुंभार ने बड़े सधे हुए ढंग से ‘मल्हार’ का निर्देशन किया है। एक-एक सीन पर उन्होंने खूब मेहनत की है। फिल्म का स्क्रीन प्ले भी विशाल कुंभार ने अपूर्वा पाटिल के साथ मिलकर लिखा है जबकि डायलॉग सिद्धार्थ साल्वी एवं स्वप्निल सीताराम ने किया है।
फिल्म में टी सतीश एवं सारंग कुलकर्णी का म्युजिक भी काफी दमदार हैं।
कुल मिलाकर एक शानदार फिल्म जो देश के तमाम महिलाओं एवं लड़कियों की बेबसी को बहुत सहजता से परदे पर उतारने में कामयाब साबित हुई है।
सुरभि सलोनी की तरफ से “मल्हार” को 4 स्टार।