नई दिल्ली:एक महिला से शारीरिक छेड़खानी के मामले में अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। आरोपी को सत्र अदालत बरी करते हुए अपने आदेश में कहा कि पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि मामला वाहन पार्किंग विवाद का है जिसे छेड़खानी का रंग दिया गया। साकेत स्थित विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार की अदालत ने आरोपी शेर सिंह को छेड़खानी के आरोप से बरी करते हुए कहा कि पेश मामले में भी विवाद वाहन पार्किंग को लेकर था और मामला मारपीट के साथ ही छेड़खानी का बना।
पड़ोस के तीन लोगों से विवाद हुआ था
मामले की शिकायतकर्ता महिला का पड़ोस के तीन लोगों से वर्ष 2013 में वाहन पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ। इस बाबत नेब सराय थाने में मारपीट की धाराओं के अलावा तीनों आरोपियों के खिलाफ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज हुआ। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने तीनों आरोपियों को मारपीट व छेड़खानी की धाराओं में दोषी ठहरा दिया गया। शेरसिंह ने छेड़खानी के आरोप में दोषी ठहराए जाने को सत्र अदालत में चुनौती दी। सत्र अदालत ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए आरोपी को छेड़खानी के आरोप से बरी कर दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
एक गलत धारणा बन गई है कि अगर किसी महिला अथवा लड़की के शरीर को गलती से भी छुआ गया तो वह शारीरिक छेड़खानी के दायरे में आता है। जबकि, कानून के प्रावधान के तहत किसी को छुआ जाने के अभियुक्त का उस तरह के इरादे को प्रमाणित करना भी जरूरी होता है।
विवाद पार्किंग का था, आरोप लगाया छेड़खानी का
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