– साध्वीवर्याजी के 44वें जन्मदिन पर आचार्यश्री ने प्रदान की पावन प्रेरणा व आशीष
-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में त्रिदिवसीय 74वें अणुव्रत अधिवेशन का हुआ शुभारम्भ
-अणुव्रत से मिलती है विचार और आचार की अच्छाई की प्रेरणा : अणुव्रत अनुशास्ता महाश्रमण
18.11.2023, शनिवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र)। भारत की आर्थिक राजधानी, मायानगरी मुम्बई के मीरा-भायंदर महानगरपालिका के क्षेत्र में घोड़बन्दर रोड पर स्थित नन्दनवन में चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को तीर्थंकर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवती सूत्र के माध्यम से अभिप्रेरित किया। इस दौरान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी के 44वें जन्मदिन के अवसर पर पावन पाथेय व मंगल आशीष भी प्रदान की। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में त्रिदिवसीय 74वें अणुव्रत अधिवेशन का भी शुभारम्भ हुआ। इस संदर्भ में भी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित संभागियों को पावन पाथेय प्रदान किया।
अणुव्रत यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा त्रिदिवसीय 74वेें अणुव्रत अधिवेशन के शुभारम्भ भी हुआ। इस संदर्भ में अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री मननकुमारजी, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के मंत्री श्री भीखमचंद सुराणा व उपाध्यक्ष श्री विनोद कोठारी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उपस्थित संभागियों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी की चेतना में भावों का संसार होता है। उसमें सत् और असत् भाव भी होता है। असत् से सत् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर व मृत्यु से अमरत्व की ले जाने की बात अणुव्रत के माध्यम से होती है। द्वेष भाव से मैत्री भाव की ओर गति हो। अणुव्रत जन-जन के लिए लाभदायी सिद्ध हो सकता है। मेरा मानना है कि कोई नास्तिक भी अणुव्रती बन सकता है और तो क्या वह अणुव्रत समिति का अध्यक्ष आदि भी बने तो कोई आपत्ति की बात नहीं है। अणुव्रत में विचार और आचार की अच्छाई की बात होती है। अणुव्रत का तंत्र सक्रिय और पुष्ट हो। आचार्यश्री की प्रेरणा प्राप्त कर अधिवेशन के संभागी भावविभोर बने हुए थे।