नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट द्वारा राफेल डील पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाएं खारिज करने के बाद शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने इस बड़े सुरक्षा डील पर सवालों को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करार दिया। वित्त मंत्री ने बिना नाम लिए कांग्रेस अध्यक्ष को निशाने पर लेते हुए उनके इस्तीफे तक की मांग की। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे से राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा की गई।
जेटली ने कहा कि एनडीए की सरकार ने कांग्रेस की पिछली सरकार से किफायती दाम पर राफेल का सौदा किया था और इसे कई बार सदन के अंदर और बाहर दोहराया गया, लेकिन विपक्ष बिना किसी ठोस सबूत के इसपर सवाल उठाती रही। उन्होंने यह भी कहा कि सवाल उठाने वालों लोगों में कुछ ऐसे लोग भी शामिल था, जिनका इस सौदे के साथ कॉन्फिल्क्ट ऑफ इंट्रेस्ट था।
सौदे के बारे में जेटली ने कहा कि चूंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा था, इसलिए सरकार इस बारे में ज्यादा खुलासे नहीं कर सकती थी। उन्होंने कहा, ‘सरकार बार-बार कह चुकी थी, विमान की कीमत बताई जा सकती है, लेकिन इससे जुड़े हथियारों के बारे में जानकारी शेयर करना संभव नहीं है, क्योंकि यह राष्ट्रीय हित से जुड़ा मसला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हमने सौदे से जुड़ी तमाम जानकारियों को कोर्ट से साझा किया, जिसके बाद यह सौदा बेदाग साबित हुआ।’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दे पर सवाल उठाकर कांग्रेस ने देश की सुरक्षा हितों को खतरे में डालने का काम किया है। अगर यही हालात रहे, तो देश की सुरक्षा से संबंधित सौदे करने पर लोगों को 10 बार सोचना पड़ेगा, जिसका असर देश की सुरक्षा पर पडे़गा।’
दसॉल्ट द्वारा ऑफसेट पार्टनर के रूप में रिलायंस का चयन करने पर उठाए गए सवालों का भी उन्होंने जोरदार जवाब दिया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘ऑफसेट पार्टनर तय करने में दसॉल्ट को फैसला लेना था। अगर दसॉल्ट ने इसके लिए रिलायंस को चुना, तो इसमें भारत सरकार का क्या लेना-देना है। दसॉल्ट किसी भी कंपनी को अपना ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र है और इसपर सवाल उठाना बेकार की बात है।’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘राफेल के कितने विमान खरीदे जाएंगे, इसकी संख्या तय होने के बाद इसके साथ कौन-कौन से हथियार खरीदे जाएंगे, इसपर कुल 74 बैठकें की गई थीं।’
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