नई दिल्ली:खूबसूरत और चटकीले रंग के खिलौनों में मिले ‘जहर’ से आपके नौनिहालों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने कड़े कदम उठाने की तैयारी कर ली है। सरकार सभी तरह के खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानकों को अनिवार्य करने जा रही है। ताकि, विदेशों से आने वाले और देश में बनने वाले खिलौनों में इस्तेमाल किए जाने वाले खतरनाक रसायनों और जहर से बच्चों को बचाया जा सके। यह मानक एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है।
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर खिलानौ पर गुणवत्ता के मानकों को अनिवार्य तौर पर लागू करने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय जल्द इस बारे में अधिसूचना जारी कर देगा। इसके बाद देश में बनने और विदेशों से आयात किए जाने वाले खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। इसका पालन नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी।
अधिकतर खिलौने आयातित
देश में खिलौनों का कारोबार काफी बड़ा है। अधिकतर खिलौने चीन, थाईलैंड और फिलीपीन्स से आयात किए जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 60 फीसदी खिलौने चीन से आयात किए जाते हैं। इसके साथ कई खिलौने दोबारा इस्तेमाल की गई प्लास्टिक से तैयार किया जाते हैं। यह खिलौने दूसरे खिलौनों के मुकाबले कुछ सस्ते होते हैं, पर बच्चों की सेहत के लिए काफी हानिकारक होते हैं। इन पर गुणवत्ता के नियम लागू होंगे।
मुलायम और लचीले खिलौने अधिक खतरनाक
कुछ खिलौने मुलायम और काफी लचीले होते हैं। लोग इन खिलौनों को बेहतर समझकर खरीदते हैं, पर यह अधिक खतरनाक होते हैं। मुलायम प्लास्टिक से बने खिलौनों में ‘थायलेट’ पाया जाता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट (सीएसई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि थायलेट से बच्चों में कई तरह की बीमारियां होती है। इनमें किडनी और लीवर पर बुरा असर पड़ने के साथ बच्चों में हड्डियों के विकास में कमी आती है।
भारतीय मानक ब्यूरो के प्रबंध निदेशक सुरीना रंजन के अनुसार, खिलौने भारत में बनें या वह विदेश से आए, सभी के मानक (स्टैंडर्ड) एक होने चाहिए। अभी तक खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानक अनिवार्य नहीं है। संबंधित मंत्रालय गुणवत्ता के मानकों को अनिवार्य करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
कई देशों में समस्या
अंतरराष्ट्रीय संगठन आईपैन ने हाल ही में खिलौनों के जहर पर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और लेटिन अमेरिका के देशों से खिलौनों के नमूने लिए। जांच के दौरान पाया कि करीब 32 फीसदी खिलौनों में आर्सेनिक, सीसा और पारा चिंताजनक स्तर से भी काफी अधिक है।
सेहत से खिलवाड़
छोटे बच्चे खिलौनों को मुंह में ले जाते हैं। त्वचा के साथ खिलौनों को रगड़ते हैं। इससे बच्चों में कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। खिलौनों में खतरनाक तत्व होने की वजह से बच्चों की तर्क क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। पेट दर्द होता है। बच्चा रोता है। त्वचा से खिलौनों को रगड़ने से त्वचा संबंधी बीमारी होने का भी खतरा बना रहता है।
खिलौनों के साथ जहर से खेल रहे बच्चे, सरकार गंभीर, गुणवत्ता मानक करेगी अनिवार्य
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