अधिकतर लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें खाने से बहुत ही प्रेम होता है। हमें लगता है कि वे खाने के शौकीन हैं। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो बहुत कम खाना खाते हैं। इसमें हमारी सोच यह होती है कि वे डाइटिंग कर रहे हैं। होता इसके विपरीत है, क्योंकि दोनों ही स्थिति में वे ईटिंग डिसॉर्डर के शिकार हो सकते हैं। इस बीमारी के बारे में बता रही हैं निधि गोयल
क्या है ईटिंग डिसॉर्डर
ईटिंग डिसॉर्डर एक तरह का मनोवैज्ञानिक विकार है, जिसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। इससे प्रभावित व्यक्ति अपने वजन तथा शारीरिक बनावट के बारे में बहुत अधिक सोचता है। इस तरह की बीमारी ज्यादातर महिलाओं और युवाओं में देखने को मिलती है। ईटिंग डिसॉर्डर एक ऐसी गंभीर मानसिक बीमारी है, जो आपके स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन यह भी सच है कि खाने से संबंधित इस विकार का इलाज संभव है और पीड़ित व्यक्ति जितनी जल्दी मदद हासिल कर लेता है, उतनी जल्दी उसकी हालत में सुधार हो जाता है।
- शरीर में किसी भी तरह की बीमारी न होने पर भी वजन तेजी से कम होता दिखता है।
- इस तरह के लोगों में मोटापे की भावना बनी रहती है, जबकि उनका वजन सही होता है।
- इसमें लोग बहुत ज्यादा व्यायाम करने लगते हैं, चाहे आवश्यकता हो या नहीं।
- ऐसे लोग खाना खाने से बचने के लिए खाने को छुपा या फेंक देते हैं या फिर खाना न खाने के लिए बहानेबाजी करते हैं।
- कुछ लोगों का स्वयं पर काबू नहीं होता। वे अकसर खाते हुए दिखते हैं। ये पता होते हुए कि ज्यादा खाना उनकी सेहत के लिए खतरनाक है, वे नहीं मानते। उनका अपने खाने पर काबू नहीं होता।
- ऐसे व्यक्ति दिन भर में अनेक बार अपना वजन नापते हैं और लगातार खुद को आईने में देखते रहते हैं।
- ऐसे व्यक्ति हमेशा थकान महसूस करते हैं। वे ठीक से सो भी नहीं पाते। दैनिक काम करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
- सर्दी के प्रति संवेदनशील होते हैं। उन्हें ठंड लगती है।
- ऐसे व्यक्ति को अकसर चक्कर आने का एहसास होता रहता हैै।
- महिलाओं में माहवारी में गड़बड़ी होने की आशंका रहती है।
- ईटिंग डिसॉर्डर से प्रभावित लोगों में अवसाद और घबराहट सामान्य रूप से पाई जाती है।
एनोरेक्सिया नर्वोसा
यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अपने शरीर की जरूरत से कम भोजन ग्रहण करता है। ऐसे व्यक्ति को हमेशा वजन बढ़ने का डर लगा रहता है, जबकि उसका वजन कम होता है। इस विकार के कारण व्यक्ति बहुत पतला हो जाता है, क्योंकि वह पर्याप्त मात्रा में आहार ग्रहण नहीं करता।
बुलिमिया नर्वोसा
इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति जरूरत से ज्यादा खाता है और फिर भोजन को उल्टी के द्वारा बाहर निकालने का प्रयास करता है, क्योंकि उसे खाने के बाद ग्लानि महसूस होती है।
बिंज ईटिंग डिसॉर्डर
बिंज ईटिंग डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्ति बहुत अधिक खाता है। इस विकार से पीड़ित व्यक्ति को अकसर ज्यादा खाना खाने के दौरे पड़ते हैं। यह विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है, लेकिन पुरुषों को भी सावधान रहना चाहिए।
इसका इलाज बहुत मुश्किल नहीं है। इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि डाइट कब, कैसे और कितनी लेनी है। इलाज में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से पीड़ित व्यक्ति का इलाज किया जाता है। यह भी देखा जाता है कि आपकी हालत कैसी है। आपके लिए हॉस्पिटल जाना जरूरी हो जाता है। वहां दो चरणों में आपका उपचार होता है। पहले चरण में आपकी स्थिति को स्थिर किया जाता है और ये सुनिश्चित किया जाता है कि आपकी सेहत को कोई गंभीर खतरा नहीं है।
अच्छी आदत डालें
आपको भरपूर पोषण मिले, इसके लिए खाने- पीने की आपकी अच्छी आदतों को प्रोत्साहित किया जाता है और विशेषज्ञ उन पर निर्धारित समय तक नजर रखते हैं।
हमेशा याद रखें कि ईटिंग डिसॉर्डर सिर्फ खाने या वजन बढ़ने का मामला नहीं है। इसके तहत बहुत सारी बातें महत्वपूर्ण होती हैं, जिनके बारे में डॉक्टर आपको बताते हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के लिए अपनों का सहयोग जरूरी होता है। ऐसे लोगों को सहयोग लेने से परहेज नहीं करना चाहिए।
सही तरीके से इलाज जरूरी
इस बीमारी का इलाज लंबा चलता है, जो कई बार तनावपूर्ण भी हो सकता है। लेकिन इलाज की प्रक्रिया से लगातार जुड़े रहना आपके लिए जरूरी है और आपका ध्यान हमेशा बेहतर होने पर रहना चाहिए। लोग अपने भावनात्मक मुद्दों से निपटने के लिए बहुत ज्यादा खाते रहने या खाना बहुत कम कर देने की कोशिश करते हैं। इसलिए आपके पास ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सही तरीके होने चाहिए। (डाइटीशियन साई महिमा से की गई बातचीत पर आधारित)
Thanks:www.livehindustan.com