मुंबई। महा मनस्वी, महा तपस्वी अणुव्रत अनुशास्ता युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव पट्टोत्सव, दीक्षा दिवस का महनीय मुंबई स्तरीय आयोजन तेरापंथ सभा भवन में।
माजीवाड़ा, ठाणे में 30 अप्रैल को शासनश्री साध्वीश्री चंदनबालाजी, साध्वी श्री राकेशकुमारीजी, साध्वी श्री मधुस्मिताजी एवं साध्वी श्री काव्यलताजी आदि ठाणा 18 के सानिध्य में मनाया गया।
शासनश्री साध्वीश्री चंदनबालाजी ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
साध्वी श्री धृतिप्रभाजी व चेतश्वीप्रभा जी ने महाश्रमण अष्टकम् द्वारा मंगलाचरण का संघान किया।
शासनश्री साध्वीश्री चंदनबालाजी ने फरमाया, “आचार्य श्री महाश्रमण जी को बहुत निकट से मैंने देखा। उनकी हर छोटी-छोटी बातों की मैं गवाह हूं।” व गुरुदेव के अनेक संस्मरण सुनाए।
साध्वीश्री राकेशकुमारीजी ने अस्वस्थ होते हुए भी अपने आराध्य के त्रिवेणी संगम के आयोजन पर प्रकाश डाला। आपने बहुत ही सुंदर कविता ‘सूरज करे आरती प्रभु की, गगन अमृत बरसाए’ अपने भावों की प्रस्तुति दी।
साध्वीश्री मधुस्मिताजी ने सर्वप्रथम मां नेमा का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी रत्न कुक्षी से महाश्रमण जी का “अवतरन” हुआ। फिर मंत्री मुनि सुमेरमल जी को वंदन किया, जिन्होंने आचार्य श्री को दीक्षा देकर संसार समुद्र से तरने का मार्ग दिखाया।
साध्वीश्री काव्यलताजी ने फरमाया, “तेरापंथ धर्मसंघ के लिए आज एक बहुत बड़ा उत्सव है जो की समर्पण, श्रद्धा, विनय, श्रम जैसे गुणों को समेटे हुए हैं। गुरुदेव आप युगो युगो तक हमारी सारणा वारणा करते रहें।” साध्वीश्री स्वस्थप्रभाजी ने अपनी जन्मभूमि ‘सरदारशहर के लाल’ कविता का संगान किया। तथा आपने कहा कि, गुरुदेव और आप सभी साथ साथ में वैरागी बने।
साध्वीश्री मलयविभाजी ने कहा, “मेरा भी जन्म दुग्गड़ कुल में हुआ।” आपने इंद्रधनुष के सात रंग की व्याख्या गुरुदेव के गुणों के साथ बहुत ही सुंदर रूप से की।
साध्वीश्री राजश्रीजी ने गुरुदेव के व्यक्तित्व व कर्तृत्व के घटक के बारे में बताते हुए, “खेतसीजी जैसे आप भी सत्युगी है।” तथा गुरुदेव के बहुत से संस्मरण सुनाए।
सभी साध्वीवृंद द्वारा सभी के दिलों को छूनेवाली सुमधुर गीतिका ‘स्वर्ण जयंती स्वर्णिम युग री मनहारी’ गीत का संघान किया।
साध्वीश्री वर्धमानश्री जी एवं साध्वीश्री धृतिप्रभाजी, साध्वी श्री चेतश्वीप्रभा जी, साध्वीश्री प्रणवयशाजी, साध्वी श्री समीक्षाश्रीजी, साध्वीश्री सुरभिप्रभाजी, साध्वीश्री मल्लीप्रभाजी आदि ने गुरुदेव के शरीर के अंगो का उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के द्वारा बहुत ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्रीमान सा. मदनलालजी तातेड ने कहा, “हम सभी अपने आराध्य का पलक पावडे बिछाए इंतजार कर रहे हैं”। व्यवस्था समिति के मंत्री महेश जी बाफना ने कहा, गुरुदेव के टाइम मैनेजमेंट के गुण को हम सभी को आत्मसात करना चाहिए। मुंबई सभा के मंत्री दीपक जी डागलिया ने भी गुरुदेव के गुणों पर प्रकाश डाला। भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष निर्मलजी श्रीश्रीमाल ने कहा, गुरुदेव की संकल्प शक्ति बेजोड़ है।
ठाणे सभा अध्यक्ष रमेश जी सोनी ने पधारे हुए श्रोताओं का स्वागत व आभार ज्ञापन किया, गुरुदेव के जीवनी पर प्रकाश डाला। ठाणे महिला मंडल द्वारा ‘प्रभु का जन्मोत्सव आया’ बहुत ही सुंदर गीतिका का संगान किया गया। प्रमिलाजी सूर्या ने अपने भावों को गीतिका के रूप में पिरोया।
ठाणे युवक परिषद ने भी बहुत सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। सरलाजी भूतोडिया द्वारा बहुत ही रोचक कविता की प्रस्तुति ।
पूरे कार्यक्रम का बहुत सुंदर व सकुशल संचालन साध्वीश्री सहजप्रभाजी ने किया। कार्यक्रम में चातुर्मास व्यवस्था समिति उपाध्यक्ष देवीलाल जी श्री श्री माल,मुंबई सभा कोषाध्यक्ष हस्तीमल जी डांगी, मुंबई सभा निवर्तमान मंत्री विजय जी पटवारी, सुरेश जी बाफना, श्रावक समाज की पूरे मुंबई से उठाने से अच्छी उपस्थिति रही मंगल पाठ के बाद कार्यक्रम के समापन हुआ कार्यक्रम ,अनवरत लगभग 3 घंटे चला।
ठाणे: आचार्य महाश्रमण जन्मोत्सव – पट्टोत्सव, दीक्षा दिवस का मुंबई स्तरीय आयोजन
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