नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने हजारों निवेशकों को फ्लैट और प्लॉट देने में विफल रियल स्टेट कंपनी आम्रपाली की बक्सर, आरा, बरेली और मुफ्फरनगर समेत कई स्थानों की संपत्तियां बेचने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आम्रपाली के निदेशकों से कहा कि वे कंपनी से लिया गया पूरा पैसा सोमवार तक लौटा दें। कंपनी ने इन निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को कई सौ करोड़ रुपये ऋण के नाम पर दे रखे हैं। जबकि कंपनी पर निवेशकों का लगभग 3000 करोड़ रुपये बकाया है।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू.यू. ललित की पीठ ने बुधवार को यह आदेश देते हुए ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) से कहा कि वह ये संपत्तियां बेचे। बिकने वाली संपत्तियों में नोएडा में चार कॉरपोरेट कार्यालय भी शामिल हैं। कोर्ट ने इसके साथ ही कंपनी निदेशकों को नोटिस देकर पूछा कि क्यों न उन पर ठगी और अमानत (आईपीसी धारा 406, 415) में खयानत करने का आपराधिक मामला चलाया जाए। निदेशकों को इसका जवाब बुधवार तक देना है। कोर्ट यह काम तत्काल करना चाहता था लेकिन निदेशकों ने कहा कि आपराधिक मुकदमे में आने से उनकी संपत्तियों का भाव गिर जाएगा।
सुनवाई के दौरान फॉरेंसिक ऑडिटरों ने बताया कि कंपनी ने अपने ही शेयर 11 सौ करोड़ रुपये में खरीद रखे हैं। यह अजीब है क्योंकि कंपनी खुद अपने शेयर नहीं खरीद सकती। यह अपने आप में नया घोटाला है। कोर्ट निदेशकों की तमाम आलीशान कारें भी जब्त करना चाहता था लेकिन उसने कहा कि इसे बाद में देखा जाएगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के वकील रवींद्र कुमार से पूछा कि ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली द्वारा सबलीज की किए गए पांच में से तीन प्लॉटों की क्या स्थिति है। इस पर रवींद्र ने बताया कि बिल्डर पर इन संपत्तियों का 3000 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें भूमि की कीमत, उस पर देय ब्याज और मुआवजे का 64 फीसदी हिस्सा देना शामिल है। कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया और कहा कि इस बारे में अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने पिछले दिनों आम्रपाली समूह के निदेशेकों को पुलिस हिरासत में भेज दिया था। ये लोग दो दिन पुलिस की हिरासत में रहे। इस दौरान उन्होंने कंपनी के विभिन्न ठिकानों से फॉरेंसिक ऑडिटरों को कागजात मुहैया करवाए। निदेशक ये कागजात ऑडिटरों को नहीं दे रहे थे। इस ऑडिट में ही बताया गया था कि आम्रपाली ने फ्लैट और प्लॉट के खरीदारों से 2400 करोड़ रुपये एकत्र किए और उनका कहीं और निवेश कर दिया।