बोइसर| श्रावक श्राविकाओ मे अदम्य उत्साह , उमंग , उलास था , भव्या अहिंसा रैली के द्वारा मुनि श्री अर्हत कुमारजी थाना 3 का स्वागत अभिनंदन किया ।तथपचात रैली प्रवचन पंडाल में बदल गया।
पंडाल से मुनिश्री ने कहा-भारतीय संस्कृति मे संत का बहुत महत्व हैं| संतो की सनिदि पाप, ताप और संताप को हरने वाली होती हैं|संत जी ने कि कला सिखाने आते है| यह महत्वपूर्ण नहीं हैं आपको संतो का सानिध्य कितना मिला बल्कि यह महत्वपूर्ण है आपने प्राप्त सानिध्य का कितना लाभ लिया| संतो का सानिध्य भाग्य को बदलने वाला होता है, संत चंदन की तरह हाते है जो सामने वाले के जीवन को महका देते है| और शांति, शितालतामि प्रदान करते है | आज हम बोइसर मे पहली बार आए, लोगों मै भक्ति भाव उत्कर्ष के साथ प्रवर्धमान है इसी को बढ़ाते हुए आत्म पथ पर अग्रसर होते हुए स्वयं का कल्याण करते रहे |
सहयोगी संत मुनि भरत कुमारजी ने अंको की सुहानी महक – मुनिश्री जी के जीवन में अध्यात्म की चहक से पूरे जीवन का वर्णन किया एवम गुणों के भंडार मुनि श्री अर्हत कुमार से सभा में खुशनुमा माहौल हो गया।
बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए
ज्ञानशाला के बच्चो ने मंगलाचरण किया । मुनिश्री के बड़े भाई एवम बोइसर सभा अध्यक्ष जुमरमल जी ने स्वागत भाषण दिया। महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी ।युवक परिषद अध्यक्ष ने विचार व्यक्त किए एवम यूवाओ ने मिलकर स्वागत में गीत का संगान किया । ज्ञानशाला प्रभारी ,जैन विद्या के प्रभारी,सूरत से उपासक सुरेशजी ने अपने भावों को प्रस्तुत किया । स्थानकवासी समाज के मंत्री एवम कार्यकर्ता ने विचारों की प्रस्तुति दी।बाफना परिवार के बेटियो ने स्वागत गीत का संगाण किया।कार्यक्रम का संचालन दिलीपजी ने किया।
भारतीय संस्कृति में संत का बहुत महत्व : मुनिश्री
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