ठाणे। तेरापंथ धर्म संघ के भुवन भास्कर परम आराध्य आचार्य श्री महाश्रमण के स्वागतार्थ वृहद मुंबई में संपूर्ण श्रावक समाज को जागृत व उन्नत करने वाले कार्यक्रम उत्कर्ष की कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन थाने में किया गया. इस कार्यशाला को तीन सिंघाड़ा का सानिध्य प्राप्त हुआ. भिक्षु विचार दर्शन पर आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षण प्रदान करते हुए शासन श्री साध्वी श्री चंदनबाला जी ने कहा धर्म का मूल आत्म शुद्धि है. शास्त्रों में 10 प्रकार के धर्म बताए हैं. उनमें अध्यात्म धर्म प्रमुख है. व्यवहार में कर्तव्य व लौकिक धर्म को भी धर्म कहा है ,पर यह अध्यात्म धर्म से भिन्न है. इनका आत्म धर्म में मिश्रण नहीं होता. भिक्षु विचार दर्शन तेरापंथ दर्शन का प्रतिनिधि ग्रंथ है, इसके माध्यम से तेरापंथ धर्म की मौलिक आगम आधारित मान्यताओं को समझा जा सकता है।
साध्वी श्री राकेश कुमारी जी ने कहा, आचार्य भिक्षु ने आगम आधारित महावीर वाणी पर तेरापंथ धर्म संघ की नींव रखी .उन्होंने सरल भाषा में जनता को धर्म क्या है और अधर्म क्या है को बताया. वर्तमान में भी श्रावक समाज को उसे जानना चाहिए .
साध्वी श्री काव्य लताजी ने फरमाया धर्म के दो प्रकार हैं ,लौकिक और लोकोत्तर .लौकिक धर्म संसार का व्यवहार चलाने के लिए और लोकोत्तर धर्म मुक्ति का मार्ग है .इस रहस्य को समझ कर हमें जीवन व्यवहार करना चाहिए ।
कार्यशाला के बाद साध्वी श्री जी ने जिज्ञासाओं का समाधान भी प्रदान किया। कार्यशाला में लगभग 55 भाई बहनों की उपस्थिति रही । सभा अध्यक्ष रमेश सोनी ने सभी का स्वागत व साध्वी श्री जी के लिए समाज की ओर से मंगल कामना प्रेषित की।
उपासीका व उत्कर्ष क्षेत्रीय संयोजक प्रतिभा चोपड़ा ने साध्वी श्री जी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व साध्वी श्री काव्यलता जी के लिए मंगलकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम में भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष निर्मल श्री श्री माल व अनेक गणमान्यो की उपस्थिति रही। उसके पश्चात उत्कर्ष के 3 आयाम बैंगनी, गुलाबी और हरित उत्कर्ष की परीक्षा ली गई. प्रशिक्षक थे, उपासक श्री रणजीत कोठारी ,श्री अशोक जैन, उपासिका विमला डागलिया ,उपासिका प्रतिभा चोपड़ा, ज्ञानशाला प्रशिक्षक सुमन नवलखा सहित इसमें कुल 38 भाई बहनों ने परीक्षा दी। थाने के अतिरिक्त उल्हासनगर, भिवंडी, मुलुंड क्षेत्र भी ने भी अपनी सहभागिता दर्ज की।
बैंगनी उत्कर्ष कार्यशाला ठाणे में
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