भजन सम्राट का खिताब पाने वाले पद्मश्री अनूप जलोटा ने ‘मसीहा ऑफ ग़ज़ल सिंगिंग: उस्ताद मेहदी हसन’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। विशेष बात यह है कि यह पुस्तक एक दिव्यांग गज़ल गायक डॉ दीपेश कुमार ने लिखी है। वह एम.ए. म्युज़िक वोकल, नेट और पीएच.डी. की डिग्री रखते हैं। वह सेनिया घराने के गायक डॉ. रोशन भारती के शिष्य हैं और स्वर्गीय ओम प्रकाश विश्नावत और श्रीमती चंदा देवी के पुत्र हैं।
डॉ. दीपेश की प्रतिभा की सराहना करते हुए, पद्मश्री अनूप जलोटा ने बताया, “यह हम सभी के लिए एक प्रेरणा की बात है कि दिव्यांग होने के बावजूद डॉ दीपेश कुमार ने अपनी कला के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और अब गजल गायकी के मसीहा उस्ताद मेहदी हसन की महानता पर लिखी उनकी पुस्तक तारीफ के काबिल है। इस किताब को लिखने के लिए उन्होंने गहरा रिसर्च किया है जो बेहद सराहनीय कार्य है। यह किताब एक दस्तावेज की हैसियत रखती है और मेहदी हसन के दीवानों के लिए यह पुस्तक एक बेहतरीन तोहफा है।”
बूंदी आइडल और यूथ गजल सिंगर पुरस्कार के विजेता डॉ दीपेश कुमार ने लोकगायक कालूराम बिखरनिया पर भी एक किताब लिखी है। डॉ. दीपेश ने कई प्रतिष्ठित मंचों पर गजल की प्रस्तुतियां दी हैं। उन्होंने पद्मश्री अनूप जलोटा और सारंगी नवाज़ उस्ताद सुल्तान खान साहिब के सामने ग़ज़ल प्रस्तुति दी है।
डॉ दीपेश के परिवार में लोग कला से जुड़े रहे हैं। उनके दादा पंडित कन्हैयालाल जी आज़ाद प्रतापगढ़ दरबार (राजस्थान) में एक उच्च कोटि के तबला वादक थे और उनके छोटे भाई पंडित प्यारे लाल जी, एक दरबारी गायक कलाकार थे और सबसे छोटे दादा जी पंडित जमना लाल जी उच्च कोटि के कलाकार थे । उनकी दादी के भाई पंडित देवी लाल जी और दुर्गा लाल जी जो कि कथक में विश्व स्तर के कलाकार थे।
उनके शुरुआती दिनों में डॉ दीपेश कुमार विशनावत को विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और ग़ज़ल गायक उस्ताद तारी खान द्वारा यूथ ग़ज़ल गायक पुरस्कार 2012 में प्रदान किया गया था और वह 2013 में सूफ़ी अवार्ड के विजेता भी थे जो उन्हें विश्व प्रसिद्ध वडाली ब्रदर्स उस्ताद पूरन चंद वडाली द्वारा दिया गया ।
दीपेश की स्टेज परफॉर्मेंस में फिल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध ढोलक वादक गिरीश विश्वा जी के सामने प्रस्तुति और जोधपुर में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के लिए दी गई प्रस्तुति शामिल रही है। उन्होंने अनूप जलोटा का आभार जताया कि उनके हाथों उनकी लेटेस्ट पुस्तक का आधिकारिक रूप से अनावरण किया गया। उन्हें उम्मीद है कि यह किताब संगीत और कला प्रेमियों को अवश्य पसन्द आएगी।
कोरील राजेश कुमार