पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डा. सी. वी. आनंद बोस जी से मुनि श्री जिनेश कुमार जी की शिष्टाचार भेंट – वार्तालाप

  • मैं जैन धर्म का विशेष सम्मान करता हूँ – राज्यपाल डा.सी.वी. आनंद बोस जी

कोलकाता- राजभवन। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी एवं सहवर्ती मुनिश्री परमानंद जी, मुनिश्री कुणाल कुमार जी के राजभवन पधारने पर राज्यपाल डा.सी.वी. आनंद बोस जी से शिष्टाचार भेंट एवं वार्तालाप कार्यक्रम समायोजित हुआ।
वार्तालाप के दौरान मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने राज्यपाल डा. सी. वी. आनन्द बोस जी को जैन धर्म, तेरापंथ धर्मसंघ, आचार्य श्री भिक्षु आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी, आचार्य श्री महाश्रमण जी, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, अहिंसा यात्रा आदि के बारे में मौलिक जानकारी देते हुए संघीय संस्थाओं एवं सेवा कार्यों से परिचित कराया। वार्तालाप के दौरान मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – भारतीय संस्कृति के चार स्तंभ है-चरित्र, समानता, स्वतंत्रता. भाईचारा । इन चारों स्तंभों पर भारतीय संस्कृति का महल टिका हुआ है। आचार्यश्री महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य सद्‌भावना नैतिकता और नशामुक्ति देश के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इंसान में इंसानियत बनी रहे यह बहुत अपेक्षित है।
वार्तालाप के दौरान राज्यपाल डा. सी.वी. आनंद बोस जी ने कहा मैं जैन धर्म का विशेष सम्मान करता हूँ। जैन समाज – का देश के विकास में अहम् योगदान है। जैन समाज जो कार्य करता है उसमें नैतिकता विशेष रूप से जुड़ी हुई होती है। मैं आपको राजभवन में कार्यक्रम करने के लिए आमंत्रित करता हूँ।
राज्यपाल महोदय ने बहुत ही रूचि के साथ मुनि श्री से वार्तालाप किया और जैन धर्म के सन्दर्भ में जानकारी भी प्राप्त की । इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, कोलकाता
के अध्यक्ष श्रीमान अजय जी भंसाली कोलकाता मेन ते.यु.प. के अध्यक्ष ऋषभ सुराणा,
भेंटवार्ता के योजनाकार अमित तातेड़, अ.भा.ते.यु.प.के सदस्य सुनील दुगड, काम्या दुगड़, अभिषेक मणोत ,ऋषभ कोठारी व अंकित मणोत विशेष रूप से उपस्थित थे। संगोष्ठी को आयोजित करने में रवि जी बैद का विशेष श्रम रहा राज्यपाल महोदय का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया
संवाददाता : सुरेन्द्र मुनोत , कोलकाता

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