- बायतूवासियों को मिल रहा है आध्यात्मिक लाभ
- आचार्यश्री ने दुर्लभ मानव के सदुपयोग की दी प्रेरणा
- ध्वज हस्तांतरण के कार्यक्रम में बायतू और अहमदाबादवासियों ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
- कई पुस्तकें, लोगो आदि पूज्यचरणों में हुए लोकार्पित
29.01.2023, रविवार, बायतू, बाड़मेर (राजस्थान)। 159वें मर्यादा महोत्सव के त्रिदिवसीय भव्य आयोजन की सम्पन्नता के उपरान्त भी मानों बायतू गुरुभक्ति से ओतप्रोत बना हुआ है। मर्यादा महोत्सव सहित पांच दिवसीय प्रवास ने बायतू के जन-जन को ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारत सहित विदेशी धरती पर रहने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणादायी रही। इस मरुभूमि में भी महातपस्वी महाश्रमणजी के मंगल सान्निध्य में धर्म, आस्था व विधान की ऐसी त्रिवेणी प्रवाहित हुई, जिसने जन-जन के मानसिक प्यास को तृप्ति प्रदान की।
बायतू प्रवास के पांचवें दिन रविवार को मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि चार दृष्टियां बताई गई हैं- द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव। इनके माध्यम से पदार्थों का भी विवेचन किया जा सकता है। इसमें एक दृष्टि काल अर्थात समय भी है। आदमी के जीवन में समय का बहुत महत्त्व है। यह हर प्राणी को बहुत ही सहज रूप में और मुफ्त में प्राप्त होता है। समय के लिए आदमी को कोई शुल्क नहीं देना होता है। सहज और सौभाग्य से मिले समय का अच्छा मूल्यांकन करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि किसी का अवमूल्यन करना अच्छा नहीं होता, जिसका जो स्तर होता है, उसके अनुसार उसका मूल्यांकन और फिर उसके अनुरूप ही व्यवहार भी हो तो व्यवस्था अच्छी हो सकती है। ‘टाइम इज मनी’ अर्थात् समय को भी धन कहा गया है। समय-समय का भी विशेष महत्त्व होता है, इसलिए क्षण मात्र भी आदमी को अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी समय का अच्छा उपयोग हो। यदि आदमी चौबीस घण्टे में से दो-दो मिनट भी निकाले तो एक सामायिक का समय निकाल सकता है। थोड़ा समय आत्मा के कल्याण के लिए भी निकालने का प्रयास हो। समय मिले तो कायोत्सर्ग, ध्यान, जप, और स्वाध्याय करने का प्रयास करना चाहिए। पाप कार्यों में लगा समय निरर्थक होता है।
मंगल प्रवचन के उपरान्त जैन विश्व भारती द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों ‘संघसमर्पिता शासनश्री साध्वीश्री जयप्रभा’ व ‘स्प्रिचुअल एण्ड साइंस ए क्रिटिकल स्टडी’ को पूज्यचरणों में लोकार्पित किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में अणुव्रत अमृत महोत्सव के लोगो का भी लोकार्पण किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में फरमाते हुए कहा कि परम पूज्य गुरुदेव तुलसी द्वारा अणुव्रत आन्दोलन आरम्भ किया गया था। इसके प्रसार के कार्य के लिए अणुविभा अपनी शक्ति का नियोजन करती रहे। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा ‘टीपीएफ का उत्कर्ष’ पुस्तक भी लोकार्पित की गई। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में भी पावन पाथेय प्रदान किया।
आचार्यश्री की अहमदाबाद यात्रा के प्रसंग में अहमदाबाद प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा लोगो का लोकार्पण पूज्यचरणों में किया गया। इस संदर्भ में अहमदाबाद प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री गौतम बाफना ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री हंसराज डागा ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए नई टीम के नामों की घोषणा की। आचार्यश्री ने उन्हें और उनकी टीम को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया ने भी अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम में आज व्यवस्था हस्तांतरण के रूप में ध्वज हस्तांतरण का भी उपक्रम रहा। इस संदर्भ में बायतू मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति की ओर से श्री मनोज चौपड़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के कार्यकर्ताओं ने अहमदाबाद व्यवस्था समिति के कार्यकर्ताओं को ध्वज हस्तांतरिक किया। इस दौरान अहमदाबादवासियों ने गीत का संगान भी किया। आचार्यश्री ने सभी को आशीष प्रदान करते हुए मंगलपाठ सुनाया।