- उमड़ा आस्था, श्रद्धा का सैलाब, समूचा बायतू बना महाश्रमणमय
- बायतू में पांच दिवसीय प्रवास हेतु शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण पहुंचे तेरापंथ भवन
25.01.2023, बुधवार, बायतू, बाड़मेर (राजस्थान)। बाड़मेर जिले की मरुभूमि में बसा बायतू गांव में बुधवार को आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही थी। हो भी क्यों न जब जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, महातपस्वी महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ तेरापंथ धर्मसंघ के सबसे बड़े महोत्सव मर्यादा के महाकुम्भ ‘मर्यादा महोत्सव’ के भव्य आयोजन के लिए बायतू में प्रवेश कर रहे थे। जब बायतू में मर्यादा के महाकुम्भ का आयोजन हो तो फिर आस्था, उत्साग और उमंग की त्रिवेणी का बहना भी सर्वथा उचित था।
सर्दी को मात दे रही थी श्रद्धालुओं की आस्था
थर्र-थर्र कंपाने वाली सर्दी आज मानों बायतूवासियों को ही नहीं, अपितु बायतू में आसपास तथा बाहर के अनेक क्षेत्रों से पहुंचे हजारों-हजारों श्रद्धालुओं को महसूस ही नहीं हो रही थी। लोगों में उत्साह का वेग इतना प्रबल था कि उन्हें ठंड का अहसास ही नहीं हो रहा था। बायतू की गलियां, सड़कें आस्था से ओतप्रोत श्रद्धालुओं की भावनाओं की अभिव्यक्ति बन रहे बैनरों, होर्डिंग्स और तोरण द्वारों से सुसज्जित नजर आ रही थीं। बायतू के लिए यह पहला अवसर था, जब उसे तेरापंथ धर्मसंघ के सबसे बड़े महोत्सव के आयोजन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था।
प्रस्थान से पूर्व ही गुरुचरणों में उमड़े आस्थावान श्रद्धालु
इस सौभाग्य को सम्पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए बायतू का केवल तेरापंथ समाज ही नहीं, अपितु सभी जाति, वर्गों और संगठनों के लोग तन्मयता से लगे हुए थे। बुधवार को प्रातःकाल युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के पुराना गांव बायतू से विहार करने से पूर्व ही श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। सूर्योदय के कुछ समय पश्चात महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने महात्मा गांधी गवर्नमेंट स्कूल से बायतू की ओर बढ़े तो अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करते हुए श्रद्धालुओं का हुजूम भी चल पड़ा।
बायतू में मर्यादा महोत्सव के लिए मंगल प्रवेश में दिखा भव्य नजारा
आज पंक्तिबद्ध रूप में सबसे आगे मुमुक्षु बहनें, फिर समणियां, फिर साध्वीवृंद और उनके पीछे संत समुदाय के मध्य देदीप्यमान तेरापंथ धर्मसंघ के महासूर्य महाश्रमण। उनके अभिनंदन में मार्ग के दोनों ओर आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी प्रवाहित करने वाले श्रद्धालुजन। गूंजते जयघोष, वाद्य यंत्रों की मंगल ध्वनियां, स्कूली बैण्ड के साथ कदमताल करते छात्र, मंगल वेद मंत्रों का उच्चारण करते बटुक। मरुभूमि के इस छोटे गांव में यह दृश्य शायद ही कभी देखने को मिला हो। उपस्थित जनसैलाब पर अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गतिमान थे।
स्वागत में केन्द्रीय राज्यमंत्री, मंत्री व अनेक गणमान्य भी सोत्साह रहे उपस्थित
राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमणजी की अभिवंदना, अगवानी व स्वागत में गणमान्यों का उत्साह भी देखते बन रहा था। आचार्यश्री के स्वागत में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी, राजस्थान सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमाराम चौधरी, बायतू के विधायक श्री हरिश चौधरी, बाड़मेर के विधायक श्री मेवाराम जैन, प्रख्यात समाज सेविका रूमादेवी सहित अनेक सरपंच, विभिन्न पार्टियों, संगठनों आदि से संबंधित अनेक गणमान्यों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
9.09 पर युगप्रधान आचार्यश्री ने किया तेरापंथ भवन में मंगल प्रवेश
श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति और उनके श्रद्धाभावों उमड़े ज्वार को अपने आशीष से शांत करने में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी को घंटे भर से भी अधिक का समय लगा। भव्य, विशाल स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री बायतू के तेरापंथ भवन के निकट पधारे। पूर्व निर्धारित समयानुसार लगभग 9.09 बजे आचार्यश्री तेरापंथ भवन में बायतू में मर्यादा महोत्सव सहित पांच दिवसीय प्रवास के लिए मंगल प्रवेश किया।
जीवन व्यवहार में भी बनी रहें मर्यादाएं : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
प्रवास स्थल से कुछ ही दूरी बने भव्य एवं विशाल मर्यादा समवसरण में समुपस्थित जनमेदिनी को तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल बताते हुए कहा कि आज हमने मर्यादा महोत्सवकालीन प्रवास के लिए बायतू में प्रवेश किया हैं जीवन में संयम रहता है तो मर्यादाओं का पालन हो सकता है। मर्यादा की हम रक्षा करेंगे तो मर्यादाएं भी हमारी रक्षा कर सकती हैं। 26 जनवरी से आरम्भ हो रहे मर्यादा महोत्सव के साथ भारत का गणतंत्र दिवस भी है। लोकतंत्र के देवता को जीवंत बनाए रखने के लिए अनुशासन, मर्यादा व कर्त्तव्यनिष्ठा की परम आवश्यकता होती है। इसलिए मर्यादाओं का सम्यक् रूप में पालन करने का प्रयास करना चाहिए।
स्वागत में साधु-साध्वियों सहित श्रद्धालुओं व गणमानयों ने भी की भावनाओं को अभिव्यक्त
सौभाग्य ऐसे सुअवसर को प्राप्त कर बायतू का जन-जन का मन ही नहीं, बायतू से संबद्ध साधु-साध्वियों, श्रद्धालुओं व गणमान्यों का मन मयूर भी नृत्य कर रहा था। अपने आराध्य के स्वागत में डॉ. मुनि रजनीशकुमारजी, साध्वी ज्ञानयशाजी व साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। साध्वी पार्श्वप्रभाजी ने गीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि मैं इस धरा पर महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। मेरे जीवन में आया बदलाव आपकी प्रेरणा का ही प्रतिफल है। आपकी वाणी सबका कल्याण करने वाली है। आपकी कृपा इस क्षेत्र पर सैदव बनी रहे। राजस्थान सरकार के मंत्री श्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि मैं परम वंदनीय आचार्यश्री महाश्रमणजी का बायतू की धरती पर हार्दिक स्वागत करता हूं। आप पर जनता का अटूट विश्वास है। मैं आपके प्रवचनों को सुनकर बहुत प्रभावित हुआ हूं। बायतू के विधायक श्री हरिश चौधरी ने कहा कि यह हमारा परम सौभाग्य है कि हमारे क्षेत्र में आपश्री का मंगल पदार्पण ऐसे भव्य महोत्सव के लिए हुआ है। मैं समस्त जनता की ओर से आपका अभिनंदन करता हूं। बाड़मेर के विधायक श्री मेवाराम जैन ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमणजी का मैं बाड़मेरवासियों की ओर से हार्दिक स्वागत करता हूं। आप द्वारा दी जा रही अहिंसा और सद्भावना की प्रेरणा जन-जन के लिए आवश्यक है। आप हमारी भूमि पर पधारे, इसके लिए मैं आपके प्रति आभार प्रकट करता हूं। इसके अलावा समाजसेवविका रूमादेवी, बायतू चिमनीजी के सरपंच श्री गोमाराम कोटलिया, बायतू भोपजी के सरपंच श्री नवनीत चोपड़ा, भाजपा जिला महामंत्री श्री बालाराम मुड़ ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री गौतम छाजेड़, स्वागताध्यक्ष श्री रतनलाल लोढ़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों तथा तेरापंथ कन्या मण्डल की कन्याओं ने अपनी-अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। श्रीमती जशोदादेवी बालड़ ने 23 की तथा श्री जशोदादेवी चोपड़ा ने 30 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।