2 दिसंबर 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। यह इतिहास का सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा था। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनाइट रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया। तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया।
धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वाल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 3,787 की मौत हुई। कई एनजीओ का दावा है कि मौत का आंकड़ा 10 से 15 हजार के बीच था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही गैस से करीब 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
दिसंबर 1984 में हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी। उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। उसे घटना के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह छुपकर अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए। लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं।
आसपास के पेड़ हो गए थे बंजर
- 1981 से 84 के बीच यूनियन कार्बइड की फैक्ट्री में कई बार हुआ था रिसाव। इसमें एक वर्कर की मौत हो गई थी, जबकि अन्य अलग-अलग मामलों में कई वर्कर घायल हो गए थे।
- इन रिसाव का मुख्य कारण दोषपूर्ण सिस्टम का होना था। दरअसल 1980 के शुरुआती सालों में कीटनाशक की मांग कम हो गई थी। इससे कंपनी ने सिस्टम के रखरखाव पर सही से ध्यान नहीं दिया। कंपनी ने एमआईसी का उत्पादन भी नहीं रोका और अप्रयुक्त एमआईसी का ढेर लगता गया।
- हादसे से ठीक पहले प्लांट काफी घटिया स्थिति में था। प्लांट में मौजूद टैंक ई 610 में एमआईसी 42 टन थी, जबकि यह 40 टन से अधिक नहीं होना चाहिए था। टैंक की सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया गया था।
- हादसे में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। तकरीबन 2000 जानवरों के शवों को विसर्जित करना पड़ा। आसपास के पेड़ बंजर हो गए थे।
- संभावना ट्रस्ट के शोध में कहा गया है कि भोपाल गैस पीड़ितों की बस्ती में रहने वालों को दूसरे इलाकों में रहने वालों की तुलना में किडनी, गले तथा पेफड़े का कैंसर 10 गुना ज्यादा है। इतना ही नहीं भोपाल गैस पीड़ितों की बस्ती में टीबी तथा पक्षाघात के भी शिकार हैं।