ठाणे। आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री जिन रेखा जी ठाणा 5, की पावन सन्निधि में आज तेरापंथ सभा भवन ,थाने में सुबह 9:15 से 1:00 तक प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ सभा ठाणे द्वारा किया गया. कार्यशाला लेने आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार से पुरस्कृत उपासक संयोजक श्री सूर्यप्रकाश शामसुखा लुधियाना से पधारे . कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी श्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र से की गई. उपासिका बहनों ने उपासक गीत ” हम बने उपासक वर साधक “द्वारा मंगलाचरण किया।
साध्वी श्री जिन रेखा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा,” प्रतिक्रमण से व्रत के छेद रूक जाते हैं .व्रत के छेद रुकने से आश्रव द्वार बंद हो जाता है. व्यक्ति विभाव से स्वभाव में आता है। मुक्ति मार्ग को अपने निकट कर लेता है। भाव से प्रतिक्रमण करने से व्यक्ति तीर्थंकर नाम कर्म का बंध भी कर सकता है। उपासक संयोजक श्री सूर्य प्रकाश जी ने आत्मा विकास की पहली भूमिका समत्व और उसके आगे की भूमिका महाव्रत और देश व्रत को समझाते हुए बताया ,कि छदमस्ता की अवस्था में ग्रहण किए हुए व्रतों में दोष लगने की संभावना रहती है. जिससे जीव विराधक बन जाता है .पर प्रतिक्रमण से दोष शुद्धि होती है और जीव पुन: आराधक बन जाता है। आपने उदाहरण व उदाहरण कहानियों के माध्यम से प्रतिक्रमण क्या क्यों कैसे की व्याख्या की. तथा साथ में प्रतिक्रमण की हर प्राकृतिक शब्दावली को अर्थ सहित समझाया। थाने के सभी जागरूक श्रावक श्राविकाएं ,आसपास के क्षेत्र मुलुंड, भांडुप, वाशी ,एरोली के आदि के भाई बहनों की भी सहभागिता रही .सभी उपस्थित धर्म श्रोताओं ने पूरी जागरूकता से इस कार्यशाला में भाग लिया. अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त किया और पक्खी के नियमित प्रतिक्रमण के प्रति अपना संकल्प जाहिर किया।
तेरापंथी सभा, थाने के अध्यक्ष श्री रमेश जी सोनी ने श्री शामसूखा जी का स्वागत व सम्मान किया तथा थाने में इस तरह की कार्यशाला के आयोजन पर प्रसन्नता जाहिर की, आपने कहा इस तरह की कार्यशाला से क्षेत्र का आध्यात्मिक विकास होगा। उपासिका प्रतिभा चोपड़ा ने उपासक संयोजक श्री सूर्य प्रकाश जी का परिचय दिया .उनकी संघ व संघ पति के प्रति अटूट निष्ठा ,जैन जीवन शैली के प्रति उनकी आस्था तथा जैन जीवन शैली का 12 व्रत ,प्रतिक्रमण आदि कार्य शालाओं के माध्यम से लोगों में जैनत्व के संस्कार भरने के बारे में बताया। उपासिका सरला भुतोरिया ने स्वरचित गीतिका का मधुर संगान किया।
भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री निर्मल जी श्री श्रीमाल ने अपने विचार व्यक्त किए तथा श्री सूर्य प्रकाश जी का स्वागत किया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन साध्वी श्री मार्दव यशा जी ने किया। दूसरे चरण में आयोजित बृहद मुंबई स्तरीय उपासक संगोष्ठी में 50 के लगभग उपासक उपासकाएं शामिल हुए .संयोजक श्री एसपी सामसुखा ने गुरुदेव तुलसी व आचार्य महाश्रमण जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उपासक श्रेणी का इतिहास संक्षेप में बताया। यह अंतरंग संगोष्ठी थी जिसमें आवश्यक सुधार, भविष्य की योजनाओं आदि के विषय में चर्चा हुई तथा उपासकों द्वारा की गई जिज्ञासाओं का भी समुचित समाधान दिया गया। अंत में रिजुमना साध्वी श्री जिन रेखा जी ने उपासक श्रेणी को आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद देते हुए मंगल पाठ प्रदान किया।
प्रतिक्रमण कार्यशाला एवं वृहद मुंबई उपासक संगोष्ठी
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