– आचार्यश्री ने आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़ने को किया अभिप्रेरित
– कालूयशोविलास के माध्यम से आचार्यश्री ने छापर में हुए चतुर्मास के प्रसंगों का किया वर्णन
07.10.2022, शुक्रवार, छापर, चूरू (राजस्थान)। छापर की धरा पर वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को भगवती सूत्र आधारित अपने मंगल प्रवचन के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में दो प्रकार के पदार्थ होते हैं- मूर्त और अमूर्त। मूर्त पदार्थों को इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष देखा, छुआ जा सकता है। हालांकि यह बात पूर्णतया सत्य नहीं है कि हर मूर्त को देखना संभव ही हो। कई बार मूर्त को आदमी को सामान्य रूप में नहीं देख सकता। जैसे दूर कहीं जंगल में धुंआ उठता हुआ दिखाई देता है तो वहां अग्नि के होने का अनुमान लगाया जा सकता है, किन्तु उसे देखा नहीं जा सकता। यह बात सत्य है कि जहां धुंआ होता है, वहां अग्नि अवश्य होती है, किन्तु जहां अग्नि हो और वहां धुंआ हो, ऐसा आवश्यक नहीं होता। इस प्रकार अनेक बातें हेतु से भी प्रमाणित होती हैं।
पदार्थ भी दो प्रकार के हेतुगम्य और अहेतुगम्य होते हैं। आत्मा अमूर्त है, यह सामान्य बात है, किन्तु असर्वज्ञ को यह बात किस प्रकार बताई जाए। इसके लिए शास्त्र आदि धार्मिक ग्रन्थ के माध्यम से कुछ बताया जा सकता है। आम आदमी के लिए यह ध्यातव्य है कि आत्मा का आगे जीवन हो अथवा न हो, स्वर्ग, नरक आदि न हो तो भी आदमी को वर्तमान जीवन को ही अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा, सच्चाई, ईमानदारी का पालन करने का प्रयास और अपने जीवन को यथासंभव नशामुक्त बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। संयम से युक्त जीवन हो तो कितनी अच्छी बात हो सकती है।
आत्मवाद के संदर्भ में विचार किया जाए तो आस्तिक और नास्तिक विचारधारा के अनुसार उत्तर दिया जाए मान लिया जाए कि आगे आत्मा का पुनर्जन्म नहीं होता, लेकिन यह बात भी पूरी तरह प्रमाणिक कैसे हो सकती है। आत्मा का पुनर्जन्म होता ही है, यह भी कहना थोड़ा कठिन मुश्किल है। आदमी पुनर्जन्म को न जाने तो भी वर्तमान जीवन को उसे अच्छा बनाने का प्रयास करना चहिए और कल्याण की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने कालूयशोविलास के माध्यम से आचार्यश्री कालूगणी के छापर का चतुर्मास रेवतमलजी नाहटा के स्थान में करने, उसके पास स्थित नोहरे में प्रवचन करने आदि, प्रवधन के मध्य हचलचल होने, वहां पक्का फर्श बनने, उसे लेकर अफवाह उड़ने, आचार्यश्री कालूगणी द्वारा संतों के लिए निर्देश जारी करने, चतुर्मास बाद विहार करते-करते सरदारशहर पहुंचे और वहां एक साथ 16 दीक्षा प्रदान करने, इस दीक्षा समारोह में तीन सजोड़े लोगों के दीक्षित होने आदि के प्रसंगों को सरसशैली में प्रस्तुत किया।
आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों के मध्य एक घोषणा करते हुए यथासंभवतया छापर के श्रद्धालु घरों को स्पर्श करने का भाव है। आचार्यश्री की इस कृपा को प्राप्त कर मानों छापरवासी निहाल हो उठे। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती की ओर से जय तुलसी विद्या पुरस्कार समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें वर्ष 2021 का पुरस्कार वर्धमान इण्टरनेशनल स्कूल, जयपुर को प्रदान किया। विद्यालय की ओर से श्री कमल सेठिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथी सभा-छापर के अध्यक्ष श्री विजयसिंह सेठिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी। जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों तथा छापर चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों द्वारा पुरस्कार की राशि का चेक और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में जैन विश्व भारती, वर्धमान इंटरनेशनल स्कूल, जयपुर व प्रायोजक परिवार को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। सेठिया परिवार की महिलाओं ने गीत का संगान किया। इस कार्यक्रम का संचालन जैन विश्व भारती की डायरेक्टर सुश्री विजयश्री शर्मा ने किया।
जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा ‘रोशनी का अध्याय’ पुस्तक आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।