मानवता की मुंडेर पर जलने वाले हम दीप न्यारे – न्यारे है _ साध्वी अणिमा श्री जी
कोटा। साध्वी श्री अणिमा श्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति, कोटा के तत्वावधान में अणुव्रत भवन में अणुव्रत उद्द्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत सर्वधर्म सद्भाव सम्मेलन का शानदार आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में हिन्दुधर्म से लक्ष्मण कुमाराचार्य जी, इस्लाम समुदाय से शहर काज़ी जनाब जुबेर अहमद साहब, ईसाई समुदाय से फादर अमित कुमार श्रेष्ठ, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम से उर्मिला दीदी सिक्ख समुदाय से ज्ञानी रविन्द्र सिंहजी, बोहरा समाज से जनाब माफलुस भाई,श्री हरिकृष्णा मंदिर से रामनाथ दास जी, आर्ट ऑफ लिविंग हो नेहा सारस्वत जी, इस्कॉन टेम्पल से चित बिहारी प्रभुजी ने मंच को गरिमा प्रदान करते हुए मंच को सुशोभित किया। श्रमण संघ के अध्यक्ष पकंज जी मेहता एवं अन्य जैन समाज के संगठनों की अनेक पदाधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।
साध्वीश्री अणिमा श्री जी ने अपने ओजस्वी उद्द्बोधन में कहा-धर्म मानवता की मुंडेर पर जलता हुआ चिराग है। जो जीवन के अंधेरे को दूर करता है, पर आज उसकी ज्योति मंद हो रही है, उसे पुन: तेजोदीप्त करना हम सबका धर्म है। हम सब अलग-अलग संप्रदाय के लोग आज यहां उपस्थित है। संप्रदाय अनेक हो सकते हैं पर धर्म सदा एक ही रहता है- वह है मानव धर्म । हमारे नवम आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से ही मानव धर्म की व्याख्या की। आज मंच पर विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु उपस्थित है। हम सबको अपने अपने मंच से मानवता का दीप प्रज्वलित कर पूरी मानव जाति को आलोकित करना है। साध्वीश्री जी ने कहा- ऐसे कार्यक्रम सिर्फ जैन मंच से ही नहीं हर धर्म के मंच से आयोजित होना चाहिए ताकि समय-समय पर हमारा समाज नई दिशा प्राप्त कर सके।
साध्वी श्रीजी ने अणुव्रत समिति के श्रम की सराहना “करते हुए कहा- उन्होंने कम समय में कार्यक्रम की सुंदर संयोजना की है। श्री श्री लक्ष्मण कुमाराचार्य जी ने कहा- सबसे बड़ा मानव धर्म है। धर्म का आधार तत्व है शांति । जिस राष्ट्र में रह रहे हैं उसकी गौरव गरिमा को बढ़ाना है। राष्ट्र धर्म को हमेशा आगे रखे। शहर काज़ी जनाब जुबेर अहमद ने कहा- गाड़ी बंगला, धन-दौलत से कोई कामयाब नहीं होता, कामयाब वह होता है, जो नियमों को फोलो करता है हम नेक काम करके दुनिया से विदा हो। दूसरों की भलाई करना ही सच्चा धर्म है। ज्ञानी रविन्द्र सिंहजी ने कहा अच्छा कर्म करो भला ही होगा। सिक्ख धर्म में सेवा का बड़ा महत्व है।सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
ब्रह्मकुमारी उर्मिला दीदी ने कहा- अहिंसा की आज बहुत जरूरत है। जब तक शरीर तक सीमित रहेगें हिंसा बढ़ेगी। हमें अध्यात्म की लौ जलाकर जीवन को आलोकित करना है।
फादर अमित कुमार श्रेष्ठ ने कहा – सच्चा धर्म क्षमा है। एक दूसरे की भूलों को क्षमा करो। प्रेम का पानी शीतलता प्रदान करेगा। नेहा जी सारस्वत ने कहा धरती पर शुभधर्म जागृत रहे।नकारात्मक भाव नहीं सकारात्मक विचारों का सृजन एवं संवर्धन करो। रामनाथ दास जी ने कहा हर जीव सनातन है, कर्मों के आधार पर जन्म मिलता है। इस जन्म को प्रेम, करुणा, मैत्री व सेवा के द्वारा सार्थक करें। चित्तबिहारी प्रभुजी ने गीता के श्लोको द्वारा परिषद को संबोध देते हुए आत्म उन्नयन की बात कही। मफलुस भाई ने कहा हो सके तब तक हम इस जीवन में ओरों की भलाई करे। पड़ोसी धर्म को निभाए। जो हमारा तिरस्कार करे, हम उसका भी सम्मान करे यही खुदा की वाणी है। श्रमण-संघ के अध्यक्ष श्री पकंज जी मेहता, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री अशोक दुगड एवं सभा मंत्री धर्मचन्द जैन ने अपने भावों की सटीक व वजनदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल व प्रभावी संचालन करते हुए डॉ साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा- हम सब मानवता के मंदिर में जलने वाले दीप न्यारे न्यारे है। दीपक माटी, सोना, चांदी किसी का भी सकता है पर प्रकाश सबका एक है हम सब उस प्रकाश के पुजारी है। प्रारंभिक संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री श्री भुपेन्द्र बरड़िया ने किया आगन्तुक धर्म गुरुओं एवं अतिथियों का अणुव्रत समिति की ओर से सम्मान किया गया। उपरोक्त जानकारी ते यू प कोटा के मीडिया प्रभारी सौरव दस्साणी ने दी।