भायंदर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी’ द्वितीय’ के सान्निध्य में नवरात्रि के अंतर्गत नवान्हिक आध्यात्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति के साथ किया गया। साध्वी श्री प्रियंवदाजी ने कहा- नवरात्रि का समय शक्ति संवर्धन का समय होता है। जितनी आंतरिक शक्ति जागृत होगी उतना ही साधना बल मजबूत होगा।
साध्वी श्री विद्यावतीजी ने कहा-साधना के क्षेत्र में आध्यात्मिक शक्ति का बड़ा महत्त्व है। एक सामाजिक प्राणी विविध क्षेत्रों से एवं विविध गतिविधियों से जुड़ा हुआ रहता है अत: वह भौतिक एवं शारीरिक शक्ति अर्जित करने के लिए प्रयत्नशील रहता है। अनुष्ठान आत्मशुद्धि और ऊर्जा का विकास करने में सहायक होता है।
नवरात्रि के प्रथम दिन तेरापंथ महिला मंडल द्वारा नींबी का सामूहिक उपक्रम तेरापंथ भवन में रखा गया साथ ही साथ नौ दिन आयंबिल की व्यवस्था भी भवन में रहेगी। आज नींबी के उपक्रम में 45 भाई बहिनों ने संभागी बनकर कर्म निर्जरा’ की। प्रवचन के समय समुपस्थित जनसमूह ने समवेत स्वरों में तन्मयता के साथ लोगस्स एवं आगम पद्यों का उच्चारण किया। गुरुदेव तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा निर्धारित श्लोक, मंत्र एवं पंक्तियों का लयबद्ध संगान कर सबने अपनी आत्मा को भावित किया। आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा निर्देशित नियमानुसार एवं समय सारिणी के अनुसार अनुष्ठान का क्रम चल रहा है। साध्वी श्री प्रियंवदाजी, साध्वी श्री प्रेरणाश्रीजी, साध्वी श्री मृदुयशाजी एवं साध्वी श्री ऋद्वियशाजी ने भी अनुष्ठान में उपस्थित रहकर मंत्रादि का स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण किया।
अनुष्ठान के शुभारंभ के कार्यक्रम में तेरापंथी सभा के अध्यक्ष भगवतीलालजी भंडारी, पूर्वाध्यक्ष महेन्द्रजी बागरेचा उपाध्यक्ष दिनेशजी आछा, जैन विद्या प्रभारी पारसमलजी कच्छारा, मुंबई तेरापंथी सभा से भगवतीलालजी बागरेचा, उपासिका कुसुम पुगलिया आदि कई पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे। यह जानकारी जैन तेरापंथ न्यूज प्रतिनिधि पारस कच्छारा ने दी
भायंदर में आध्यात्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ
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