ठाणे। तेरापंथ भवन में ठाणे में शासन श्री साध्वी जिनरेखा जी के सान्निध्य में तपस्या और धर्म साधना की निर्मल गंगा अविरल गतिमान है। इसी क्रम में महेन्द्र सिंघवी के 31 की तपस्या का अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम की मंगल शुरुआत पार्थ दुग्गड ने किया।
इस अवसर पर शासन श्री जिनरेखा जी जीवन प्रेरक उद्बोधन मे कहा तप रूपी ज्योति मे जो जलता है उसकी आत्मा कुंदन बन जाती है। तेल के बिना दीपक जल नहीं सकता पानी के बिना पौधा फल नही सकता उसी प्रकार संकल्प शक्ति के बिना कोई तप कर नही कर सकता है। महेन्द्रजी ने संकल्प शक्ति का परिचय देकर 31 का तप किया है। तप अनुमोदन में महिला मण्डल ने गीतिका की प्रस्तुति दी।
सभा अध्यक्ष रमेश जी सोनी ने साध्वी प्रमुखा द्वारा प्राप्त सन्देश का वाचन किया। अभिनन्दन पत्र मनोहरजी कच्छारा ने वाचन किया। इसी क्रम में रमिलाजी बड़ाला, लक्ष्मीलालजी सिंघवी, अनितानी धारीवाल,रेखा बाफना, किरण कोठारी, नेरूल से मधुर गायक वीराग मधुमालती और अर्जुनजी सिंघवी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीश्री श्वेतप्रभाजी ने तपस्या की प्रेरणा दी। संवत्सरी के बाद भी तपस्या वर्धमान है। नितेशजी सिंघवी, एरोली से अंकिता आदि बहिनों ने गीत की प्रस्तुति दी तपस्या की प्रेरणा दी। साध्वियों द्वारा सामुहिक गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री मार्दवयशाजी ने किया।
ठाणे मे तपस्या का लगा ठाट, छठे मासखमण तपस्या अभिनंदन कार्यक्रम का भव्य आयोजन
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