- भगवती सूत्र के माध्यम से आचार्यश्री ने जनता को दी बोलने की सीख
- अभातेयुप के 56वें अधिवेशन में संभागियों को मिला आचार्यश्री से आशीर्वाद
- जवानों की संस्था है अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
24.09.2022, शनिवार, छापर, चूरू (राजस्थान)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को उपस्थित विशाल जनता को भगवती सूत्र के माध्यम से मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि भगवती सूत्र में एक प्रसंग बताया गया कि भगवान महावीर के पास एक बार सातवें देवलोक के दो देव आते हैं और मौखिक रूप से प्रश्न न करते हुए मानसिक रूप से भगवान महावीर से प्रश्न करते हैं कि आपके वर्तमान के अंतेवासी शिष्यों में कितने मोक्ष को प्राप्त हो जाएंगे? भगवान महावीर ने भी मौखिक रूप से उत्तर न देते हुए मानसिक से समाधान प्रदान करते हुए कहा कि मेरे 700 अंतेवासी शिष्य मोक्ष को प्राप्त करेंगे।
देवों ने भगवान महावीर के जवाब को सुनकर उन्हें नमस्कार किया। उन्होंने जिस प्रकार प्रश्न किया, भगवान महावीर ने उसी प्रकार उत्तर भी दिया। फिर एक प्रश्न किया गया कि क्या देवों को असंगत कह सकते हैं? भगवान महावीर ने उत्तर देते हुए कहा कि नहीं, ऐसा नहीं कह सकते, यह कड़ा शब्द है, इसी प्रकार अनेक प्रश्न पूछे गए। उन प्रश्नों के उत्तर देते हुए मानों भगवान महावीर ने यह प्रेरणा प्रदान की कि आदमी को किसी प्रकार बोलना चाहिए। आदमी को अयथार्थ, कटु, और निष्ठुर भाषा का प्रयोग करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। जो सत्य और प्रिय हो आदमी को वही बोलना चाहिए। आदमी की भाषा संयत, विवेकपूर्ण, यथार्थ और प्रिय होनी चाहिए।
आचार्यश्री ने चतुर्दशी होने के संदर्भ में हाजरी का वाचन करते हुए समुपस्थित चारित्रात्माओं को भी अनेक प्रेरणाएं प्रदान कीं। आचार्यश्री की अनुज्ञा से नवदीक्षित साध्वीत्रय साध्वी रोशनीप्रभाजी, साध्वी तीर्थप्रभाजी व साध्वी दीक्षाप्रभाजी ने लेखपत्र का वाचन किया। आचार्यश्री ने उन्हें 21-21 कल्याणक बक्सीस किए। तदुपरान्त सभी चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया।
आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में लाडनूं के सैंकड़ों श्रद्धालु भी अर्ज लेकर आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए अपने पूर्व निर्णय को दोहराया और कहा कि आगे की यात्रा के बाद यथावसर बताया जा सकेगा। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के 56वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सैंकड़ों संभागी कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। इस संदर्भ में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज डागा व महामंत्री श्री पवन माण्डोत ने अपनी-अपनी अभिव्यक्ति के द्वारा युवक परिषद के कार्यों का वर्णन आचार्यश्री के समक्ष प्रस्तुत किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि योगेशकुमारजी ने भी अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। साध्वीप्रमुखाजी साध्वी विश्रुतविभाजी तथा मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भी युवाओं को उत्प्रेरित किया।
इस संदर्भ में आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद का अधिवेशन है। यह संस्था जवानों की एक संस्था है। अन्य संस्थाओं में जवान, प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी हो सकते हैं किन्तु इस संस्था में वृद्धत्व को स्थान नहीं है। युवावस्था सक्षमता की अवस्था होती है। अभातेयुप के माध्यम से युवाओं को सन्मार्ग प्राप्त हो रहा है। युवा शक्ति का विकास हो। तेरापंथ टाइम्स तेरापंथ समाज का मानों अखबार है। अभातेयुप खूब धार्मिक-आध्यात्मिक विकास करती रहे। आचार्यश्री के मंगल आशीर्वाद के उपरान्त अभातेयुप द्वारा सम्मान प्रदान का भी कार्यक्रम रहा। इस दौरान तेरापंथ युवक परिषद-छापर के संगठन मंत्री श्री आलोक नाहटा ने आचार्यश्री ने 13 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।