मुंबई। “जीवन विकास के महत्वपूर्ण सूत्रों में एक सूत्र है तप संयम। वर्तमान युग में दो-चार दिन निराहार रहना भी एक आश्चर्य जैसा है, यदि कोई 31 दिन का निराहार तप करता है तो वह स्वयं मनोबल का परिचय देता है। सुश्री हेमलता धाकड़ सुपुत्री भावना -अमृत जी धाकड़, अशोकनगर ने 28 वर्ष की उम्र में ऐसा प्रलम्ब तप कर सब को चमत्कृत किया है। तपस्या के साथ पारणे में भी उसे विशेष संयम व मोबाइल संयम का परिचय देना है। ” आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी निर्वाण श्री जी ने तेरापंथ भवन कांदिवली में मास खमण तप का प्रत्याखान करवाते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
प्रबुद्ध साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभा जी ने अपने संयोजकीए वक्तव्य में कहा-” प्रलंबित तप के लिए सर्वाधिक अपेक्षित है आत्म बल एवं दृढ़ संकल्प।यह ऐसे घटक हैं जिनके सहारे शरीर से दुर्बल व्यक्ति भी नई ऊंचाई को छू सकता है। ” इस अवसर पर श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन तथा तेरापंथी सभा कांदिवली एवं मलाड की ओर से तपस्विनी का वर्धापन करते हुए साहित्य एवं दुपट्टा उपहार स्वरूप भेंट किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन मलाड सभा के मंत्री हस्तीमल जी भंडारी ने किया। फाउंडेशन के कर्मठ मंत्री मनीष कोठारी ने शुभकामनाएं दी।
“चम चम चमके आभा तप की” साध्वी वृंद द्वारा समुच्चारित गीत के मधुर स्वर लहरियों ने एक नया ही समा बांध दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ कांदिवली महिला मंडल की बहनों के गीत से हुआ। मुंबई महिला मंडल की अध्यक्ष रचना हिरण ने अपने भावों की प्रासंगिक अभिव्यक्ति दी। शिशोदा के धाकड़ परिवार की ओर से जमुना धाकड़ ने परिवार के गौरव को बढ़ाने के लिए शत-शत साधुवाद दिया। स्थानीय सभा के अध्यक्ष पारस जी दुग्गड, प्रकाश धाकड़,नीतू नाहटा,नूतन लोढ़ा आदि ने वर्धापना की।
वरिष्ठ श्रावक किस्तूरचंद जी डूंगरवाल एवं जमुना धाकड़ तप का संकल्प स्वीकार कर अनुमोदना की। धन्यवाद ज्ञापन अशोक जी हिरण ने किया। मंच संचालन साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभा जी ने कुशलता पूर्वक किया।
समाचार प्रदाताः पारसमल दुगड
आश्चर्यकारी निराहार तप- सुश्री हेमलता धाकड़
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