नई दिल्ली:भारत पर जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मार पड़ रही है। जलवायु परिवर्तन से हो रही क्षति को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जल्द जारी होने वाली लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में जलवायु परिवर्तन से 2017 में 153 अरब कार्य घंटे बर्बाद हुए। इसमें अकेले भारत की क्षति 75 अरब कार्य घंटों के बराबर थी। यह दुनिया में हुई कुल क्षति का 49% है। चिंताजनक तथ्य यह है कि 99% क्षति निम्न आय वाले देशों में हो रही है।
आकलन का आधार
क्षति का आकलन गर्मी बढ़ने के कारण पैदा होने वाली परिस्थितियों, तबाही की घटनाओं, इसके चलते स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों, बीमारियों आदि को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस अध्ययन में दुनिया भर के नामी संस्थानों ने भाग लिया है। हिन्दुस्तान को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों से भी कम समय में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव तेजी से सामने आए हैं। मसलन, 2000 से 2017 के बीच 62 अरब कार्य घंटे के बराबर की उत्पादकता नष्ट हुई है। जहां तक भारत का प्रश्न है, तो 2000 में 43 अरब कार्य घंटों की क्षति का अनुमान था, जो दो दशक में काफी बढ़ गई।
– अकेले भारत में होती है जलवायु परिवर्तन से 49% क्षति
– दुनिया में 153 अरब कार्य घंटे बर्बाद हुए, इनमें 75 अरब घंटे अकेले भारत में
– विश्व जीडीपी को 326 अरब डॉलर की क्षति जबकि भारत का नुकसान 160 अरब डॉलर
चीन की तैयारी बेहतर
रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से दुनिया को उत्पादकता के रूप में जो क्षति पहुंची है, वह 326 अरब डॉलर के बराबर है। भारत के संदर्भ में यह 160 अरब डॉलर है। जबकि चीन की क्षति 21 अरब कार्य घंटों के साथ महज 1.4 फीसदी के करीब गई है। इससे साफ है कि चीन की तैयारियां भारत से कहीं बेहतर हैं।
भारत सबसे अधिक झेल रहा जलवायु परिवर्तन की मार
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