अयोध्या:श्रीराम जन्मभूमि भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के लिए अयोध्या की बड़े भक्तमाल की बगिया में रविवार को आयोजित विराट धर्मसभा में देश भर के 127 संप्रदायों के साधु-संतों और अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने एक साथ हुंकार भरी। सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाया कि या तो कानून से या अध्यादेश से किसी भी तरह मंदिर बने। लेकिन, सबसे नई बात यह हुई कि धर्मसभा की अध्यक्षता कर रहे निरंजनी अखाड़ा, हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने मुस्लिम समुदाय और वक्फ बोर्ड से अपील करते हुए चेतावनी दे दी, वे लोग स्वेच्छा से मंदिर बनने का रास्ता साफ कर दें। अगर अध्यादेश की नौबत आयी तो फिर अयोध्या ही नहीं, काशी और मथुरा भी लेंगे। इसके पहले प्रस्तावना में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने भी जोर देकर कहा कि केवल मंदिर, केवल मंदिर, केवल मंदिर चाहिए। हालांकि चित्रकूट से आये पद्म विभूषण, तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी राम भद्राचार्य महाराज ने केंद्र सरकार के एक वरिष्ठतम मंत्री से बातचीत के हवाले से दावा किया कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार 11 दिसंबर को मंदिर निर्माण का रास्ता खोज लेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसके लिए बैठक करेंगे।
धर्मसभा की खास बातें
- मंदिर निर्माण के लिए संतों ने भरी हुंकार
- मुस्लिम समाज सौंप दे हिंदुओं की भूमि
- संतों का धर्मादेश चाहे कानून या अध्यादेश
- विवादित जमीन पर नहीं हो सकती नमाज
- उठी याचना नहीं अब रण होगा की हुंकार
- राम मदिर के शिवा कुछ भी स्वीकार्य नहीं