नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि सरकार अपना राजकोषीय घाटा पाटने में सक्षम है और इसके लिए उसे छह माह तक आरबीआइ या किसी भी अन्य वित्तीय संस्थाओं से अतिरिक्त फंड की कोई दरकार नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) कोई नया कैपिटल फ्रेमवर्क बनाता है और उससे व्यवस्था में अतिरिक्त पूंजी का प्रवाह होता है, तो सरकारों द्वारा सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों के लिए उसका कभी भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था के व्यापक हितों से जुड़े मुद्दे आरबीआइ के समक्ष उठाती रहेगी।
एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में जेटली ने कहा, ‘हमें अपना राजकोषीय घाटा पाटने के लिए किसी भी वित्तीय संस्थान से कोई अतिरिक्त मदद नहीं चाहिए। मैं स्पष्ट रूप से यह कहना चाहूंगा कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है। हम यह भी नहीं कह रहे कि अगले छह महीनों में हमें कुछ रकम दे दीजिए। हमें ऐसी कोई जरूरत नहीं है।’
सरकार ने देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष (2018-19) के अंत तक घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 फीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है। आरबीआइ और सरकार में रिजर्व फंड को लेकर हालिया रार पर जेटली ने कहा कि दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों के लिए एक कैपिटल फ्रेमवर्क है। यह फ्रेमवर्क तय करता है कि केंद्रीय बैंक के पास रिजर्व के रूप में कितनी रकम होनी चाहिए।
जेटली ने कहा, ‘हम केवल इतना कहना चाह रहे हैं कि कम से कम उन मानकों पर तो बहस हो, जिसके तहत आरबीआइ का एक कैपिटल फ्रेमवर्क होगा।’ वित्त मंत्री का जोर इस बात पर था कि आरबीआइ के पास पड़ी अतिरिक्त रकम का उपयोग भविष्य सरकारें अगले कई वर्षो तक गरीबी उन्मूलन समेत सामाजिक योजनाओं के कार्यो में कर सकेंगी।
आरबीआइ के निदेशक बोर्ड ने 19 नवंबर की बैठक में इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) की मौजूदा स्थिति की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति के गठन का फैसला किया था। यह समिति इस बात का निर्धारण करेगी कि आरबीआइ के पास रिजर्व के रूप में कितनी रकम होनी चाहिए। कहा जा रहा है कि आरबीआइ के पास इस वक्त रिजर्व के रूप में 9.5 लाख करोड़ रुपये की बड़ी रकम है।
जेटली ने कहा, ‘अगर अर्थव्यवस्था के किसी सेक्टर में पूंजी या कर्ज की कमी है, तो इनसे जुड़े मुद्दे हम आरबीआइ के समक्ष उठाते ही रहेंगे। कई मसलों पर आरबीआइ के पास ही कुछ चीजों पर फैसले लेने का अधिकार है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह किसी भी संस्था के विफल होने का मुद्दा नहीं है।
सरकार को अगले छह महीने आरबीआइ से फंड की जरूरत नहीं:अरुण जेटली
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