सोमप्रकाश “शिवम्”/सुरभि सलोनी
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गत वर्ष अाई फिल्म “शादी में जरूर आना” की अपार सफलता के बाद फिल्म निर्माता विनोद बच्चन ने एक बार फिर से सौंदर्या प्रोडक्शन को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। इस बार विनोद एक नहीं बल्कि तीन फिल्मों का निर्माण एक साल के अंदर पूरा करने के लिए तत्परता दिखा रहे हैं। उनके प्रोडक्शन से निकलने वाली फिल्में “शादी में जरूर आना पार्ट-2”, “गिन्नी वेड्स सन्नी ” और “मुन्नी मिश्रा”। आपको बता दें कि यह तीनों ही फिल्में अलग-अलग पृष्ठभूमि पर आधारित होंगी। साथ ही ये तीनों फिल्में बड़ी स्टारकास्ट के साथ सुसज्जित होंगी। विनोद हमेशा से ही नई प्रतिभा को अवसर देने के पक्षधर रहे हैं। तो इस बार भी बड़ी स्टार कास्ट के साथ साथ बहुत सारी नई प्रतिभाओं को भी अवसर मिलने की तैयारी पूरी हो चुकी है।बस इंतजार है तो सही वक़्त का।
आपको बता दें कि यूं तो आप सभी ने मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश के एटा और कासगंज जनपद का नाम अपराध का अड्डा नाम से बहुत सुना होगा।आखिर सुना भी क्यों ना हो?क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व एनसीआर में घटित आए दिन की वारदातों में अधिकांशतः घटनाओं के तार एटा,कासगंज से ही जुड़े पाए जाते हैं ,जो कि एटा,कासगंज का दुर्भाग्य है। परंतु एटा,कासगंज में उत्पन्न हुई तमाम महान विभूतियां ऐसी भी हैं जो कि विश्व स्तर पर अपनी कला का परचम लहरा चुकी हैं या फिर लहरा रही हैं। संत तुलसीदास की जन्मस्थली कहे जाने वाले शूकर क्षेत्र सोरों, जहां शास्त्रों में बारह भगवान का अवतार होना भी इसी स्थली के प्रमाण मिलते हैं, वहीं अमीर खुसरो की जन्मस्थली तहसील पटियाली भी इसी श्रंखला की कड़ी हैं। इतना ही नहीं आज फिल्म बॉलीवुड में भी जानी-मानी एवं सुपर हिट गीत “बिल्लो रानी कहो तो अभी…”गाने वाली पार्श्व गायिका ऋचा शर्मा जो कि पटियाली से ताल्लुक रखती हैं।वही लोकप्रिय संगीतकार विष्णुनारायन जो कि अपनी पहली ही सुपर हिट फिल्म “चांद के पार चलो” से अपने करियर की शुरुआत कर चुके कासगंज एटा से ही ताल्लुक रखते हैं।वहीं मशहूर गीतकार स्व.जलीश शेरवानी भी कासगंज एटा का गौरव थे।इस तरह से हम कह सकते हैं कि अब एटा कासगंज की धमक फिल्मी गलियारे तक अपनी काबिलियत के दम पर पैर पसार रही है।वहीं अब एटा,कासगंज का नाम सिने जगत में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कराने में अहम भूमिका निभा रहे उभरते युवा फिल्म निर्माता विनोद बच्चन की सफलता आज आम आदमी के लिए एक प्रेरणा है। फिल्मी गलियारे में इस बात की विशेष चर्चा है कि आखिर एटा जैसे अत्यंत पिछड़े जनपद के एक गांव से सामान्य परिवार का लड़का बिना किसी गॉडफादर के माया नगरी में यकायक कैसे सफलता के चरम पर पहुंच गया। बहुत कम लोग जानते होंगे कि फिल्मी दुनिया में युवा फिल्म निर्माता उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के गांव थाना दरियावगंज जो कि अब जनपद कासगंज में आता है के मूल निवासी हैं।
विनोद का जीवन बड़ा ही संघर्षपूर्ण रहा है पिता हजारीलाल बच्चन का असमय निधन तब हो गया जब विनोद महज 6 वर्ष के थे।खेलने कूदने की उम्र में ही सर से पिता का साया हट जाना विनोद के लिए अत्यंत दुखद था।पिता की असमय मृत्यु का सदमा झेल रहे विनोद को अब मां और बड़े भाई का ही सहारा था परंतु यह क्या अभी 16 वर्ष की अवस्था रही होगी कि विनोद को एक और बड़ा झटका लगा। इस बार उनके सर से ईश्वर ने उनकी मां का साया ही हटा लिया।वाल्यावस्था में ही लगे सदमे पर सदमों ने विनोद को झकझोर कर रख दिया। विनोद ने अपने जीवन की सबसे अमूल्य धरोहर के रूप में अपने माता पिता को हमेशा के लिए खो दिया। जिसकी भरपाई वह जीवन में ताउम्र नहीं कर सकेंगे। यह घटना विनोद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विवश कर गई। विनोद ने किसी तरह से साहस और धैर्य का परिचय देते हुए गंजडुंडवारा के पीजी कॉलेज में स्नातक की शिक्षा हासिल की।बचपन से ही फिल्मी शौक रखने वाले विनोद ने अपनी जिंदगी को यादगार व्यक्तित्व बनाने के लिए माया नगरी मुंबई में वर्ष 1986 में कदम रखा। बेहद शांत स्वभाव वाले विनोद बचपन से ही सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के प्रशंसक रहे हैं।अपने सपनों को साकार करने हेतु विनोद ने मायानगरी में दिन रात कड़ी मेहनत कर सर्वप्रथम सहायक निर्देशक के तौर पर तकरीबन 16 फिल्मों में अपनी कार्य कुशलता का परिचय दिया।जाने-माने फिल्मकार मुकुल एस आनंद, डेविड धवन, शशि लाल नायर, मजहर खान व ए मुत्थू जैसे तमाम दिग्गजों के साथ कार्य कर विनोद ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी विनोद अपने जीवन में एक कलाकार बनना चाहते थे परंतु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। और ईश्वर ने आज उन्हें वह शक्ति प्रदान की है जो आज वह किसी को भी रातों रात कलाकार बना सकते हैं। विनोद का मानना है कि ऑनेस्टी और हार्ड वर्क ही व्यक्ति को एक दिन उसकी मंजिल अवश्य दिलाता है। इतना ही नहीं विनोद को अपने गृह जनपद एटा कासगंज की उभरती प्रतिभाओं के प्रति भी भरपूर सहानुभूति है। वह चाहते हैं कि अगर उनके क्षेत्र की कोई भी प्रतिभा जिसमें अभिनय करने की अपार क्षमता रहेगी तो वह उसे अवश्य अवसर देंगे।