नई दिल्ली:व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए चाइल्ड पॉर्नोग्रफी मटीरियल रखने, उसे देखने या उसके संग्रहण और वितरण पर दंड का प्रावधान और कठोर हो सकता है। इसके तहत मोटा जुर्माना और जेल की सजा बढ़ाकर पांच वर्ष तक का प्रावधान किया जा सकता है। ऐसा किया जाना गैर-जमानती अपराध माना जाएगा और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात वर्ष तक की सजा हो सकेगी।
दरअसल, संशोधन प्रस्ताव में सबसे कठोर दंड का प्रावधान उन लोगों के लिए किया गया है जो अश्लील सामग्री का संग्रह व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए करते हैं। अभी सेक्शन 15 के तहत ज्यादा-से-ज्यादा तीन साल तक की सजा और जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। अब इसमें संशोधन कर यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि पहली बार दोषी पाए गए लोगों को कम-से-कम तीन साल और ज्यादा-से-ज्यादा पांच साल तक की जेल हो। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार दोषी पाया जाए तो उसे कम-से-कम पांच साल और ज्यादा-से-ज्यादा साल सात वर्ष की सजा दिए जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
इनके अलावा, बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (प्रॉटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऐक्ट यानी POCSO ऐक्ट) में प्रस्तावित संशोधनों में जिन बातों का जिक्र है, उनमें चाइल्ड पॉर्नोग्रफी की हरेक जानकारी के साथ-साथ इसे जुड़ी अश्लील तस्वीरें एवं विडियोज वॉट्सऐप पर भी रखे जाने की सूचना नहीं देने पर भी जुर्माने का प्रावधान शामिल है। संशोधन प्रस्ताव को कानून मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। सूत्रों के मुताबिक, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे अगले सप्ताह तक मंजूरी मिल जाएगी और फिर इसे पास करवाने के लिए कैबिनेट में जल्द भेजा जा सकेगा।
पॉर्नोग्रफी की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) चिंता जाहिर कर चुका है। इसलिए, उसी ने इसे बेहद गंभीर अपराध की श्रेणी में रखने की पहल की। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी भी चॉइल्ड पॉर्नोग्रफी और बदले की भावना से अश्लील तस्वीरें या विडियोज सार्वजनिक करने जैसी बच्चों से संबंधित यौन अपराधों पर लगातार चिंता जाहिर करती रही हैं। वह कानून में बदलाव समेत रोकथाम की विभिन्न आवश्यक पहलों की जरूरत पर जोर देती रहती हैं।
पॉक्सो ऐक्ट की धारा 15 में संशोधन के प्रस्ताव के तहत वैसे किसी व्यक्ति पर कम-से-कम 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा जो बच्चों से जुड़ी कोई भी अश्लील सामग्री रखता है या इसका संग्रह करता है और इसे डिलीट नहीं करता, पूरी तरह खत्म नहीं करता या संबंधित अथॉरिटी को इसकी जानकारी नहीं देता है। अगर कोई व्यक्ति इस मामले में दोबारा दोषी पाया गया तो उस पर कम-से-कम 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। साथ ही, संबंधित अथॉरिटी से शिकायत और अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश किए जाने के मकसद के अलावा इस तरह की सामग्री को किसी भी तरीके से इधर-उधर भेजने, उसका प्रचार करने और उसे विभिन्न समूहों अथवा लोगों में इसके वितरण को लेकर भी कानून में संशोधन किया जा रहा है।
चाइल्ड पॉर्नोग्रफी:दोषी को नहीं मिलेगी जमानत
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