नई दिल्ली:नौकरी से इस्तीफा देना कर्मचारी का अधिकार है और उसे उसकी इच्छाओं के विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह तभी संभव है जब इस बारे में कोई नियम हो या उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित हो।
जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा की पीठ ने यह टिप्पणियां करते हुए एयर इंडिया के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उसका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया था। संजय जैन ने एयर इंडिया में निर्धारित पांच वर्ष तक सेवा की और उसके बाद उन्होंने 30 दिन का एडवांस नोटिस देकर इस्तीफा पेश कर दिया। इसके बाद उन्होंने जेट एयरवेज में सेवा ज्वाइन कर ली और एयर इंडिया से अपना पीएफ, ग्रेच्युटी और अनपेड वेतन देने का आवेदन किया। उनके इस आवेदन को खारिज करते हुए एयर इंडिया ने उन्हें सूचित किया कि उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया है, इसलिए वह ड्यूटी पर लौटें। इस आदेश के खिलाफ वह बंबई हाईकोर्ट गए लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट आए।
जस्टिस मिश्रा की पीठ ने देखा की एयर इंडिया के स्टैंडिंग आर्डर में साफ लिखा है कि यदि 30 दिन के नोटिस के बगैर इस्तीफा दिया जाएगा तो वह स्वीकार्य नहीं होगा। वहीं जैन के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही भी लंबित नहीं है। वहीं एयर इंडिया में सेवा का बांड पांच वर्ष का ही था। यह कर्मचारी ने पूरा कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस्तीफा देना कर्मचारी का अधिकार है, उसकी इच्छा के बगैर उससे काम नहीं करवाया जा सकता। पीठ ने कहा कि हार्इकोर्ट ने इस मामले में याचिाक अस्वीकार कर गलती की है जबकि कानून बिल्कुल साफ है।
इससे पूर्व फैसला उलट था
दिलचस्प है कि जस्टिस मिश्रा की पीठ ने यह ही दो माह पूर्व आदेश दिया था कि कर्मचारी को सेवा छोड़ने से रोका जा सकता है, यदि विभाग को उसकी जरूरत हो। यह कहते हुए कोर्ट ने इस्तीफा देने के यूपी सरकार के एक डाक्टर को इस्तीफा देने से रोकने के यूपी सरकार के आदेश को सही ठहराया था। डाक्टर अपना इस्तीफा अस्वीकार करने के सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए थे।
कर्मचारी को नौकरी से त्यागपत्र देने का पूरा अधिकार : सुप्रीम कोर्ट
Leave a comment
Leave a comment