नई दिल्ली:टी-20 फॉर्मेट के चैंपियन ऑलराउंडर ड्वेन ब्रावो ने 2014 में भारत दौरा बीच में छोड़ने के फैसले पर 4 साल बाद अब अपनी बात रखी है। i955fm को दिए इंटरव्यू में उन्होंने उस डरावने माहौल का पहली बार जिक्र करते हुए कहा कि इस फैसले के बाद पूरी टीम पर ‘लाइफ टाइम बैन’ लग सकता था। इस इंटरव्यू में साथ ही उन्होंने बीसीसीआई और उसके तत्कालीन चेयरमैन एन. श्रीनिवासन की तारीफ की है। बता दें कि कॉन्ट्रैक्ट और सैलरी इश्यू की वजह से वेस्ट इंडीज ने 2014 में भारत का दौरा अधूरा छोड़ दिया था। उस वक्त ड्वेन ब्रावो कप्तान थे।
‘डीजे ब्रावो’ ने कहा, ‘दौरा बीच में छोड़ने का फैसला हमने एक टीम के रूप में किया था। मैंने हर एक खिलाड़ी को सुना था। सिर्फ एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी ने दौरा बीच में छोड़ने को लेकर एक पेपर पर साइन किया था। इस बारे में हमने कई बार वेस्ट इंडीज प्लेयर असोसिएशन के अध्यक्ष वैवेल हिंड्स और क्रिकेट वेस्ट इंडीज के अध्यक्ष डेव कैमरन से संपर्क करने की कोशिश भी की थी।’
पहला मैच ही नहीं खेलना चाहते थे खिलाड़ी
हाल ही में इंटरनैशनल क्रिकेट को अलविदा कहने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, ‘हम पहला मैच भी नहीं खेलना चाहते थे, लेकिन खेला। दूसरे मैच से पहले भी ऐसा ही माहौल था, लेकिन हमने एक के बाद एक 4 मैच खेले। चौथे मैच में हमने उन्हें इशारा दे दिया था कि जो कुछ भी हो रहा है हम उससे खुश नहीं हैं। आगे नहीं खेल पाएंगे।’
श्रीनिवासन ने सुबह 3 बजे किया मेसेज
यही नहीं, इस मैच से ठीक पहले तत्कालीन बीसीसीआई चेयरमैन एन. श्रीनिवासन ने उन्हें सुबह 3 बजे मेसेज किया और मैदान पर उतरेन को कहा। उस लम्हे को याद करते हुए ब्रावो ने कहा, ‘मुझे अच्छी तरह याद है कि जब हमने मैच नहीं खेलने की बात कही तो सुबह 3 बजे बीसीसीआई के चेयरमैन एन. श्रीनिवासन ने मुझे मेसेज किया। उन्होंने लिखा- कृपया मैदान पर उतरो। मैंने उन्हें सुना और सुबह 6 बजे उठकर टीम को बताया कि हमें खेलना होगा। सच कहूं तो हम सभी मैच खेलने के खिलाफ थे। सब मेरे बारे में सोच रहे थे कि इन सब चीजों से मैं काफी परेशान हो चुका हूं।’
लग सकता था पूरी टीम पर बैन
उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर चिंतित था, क्योंकि दौरा बीच में छोड़ना बहुत बड़ा फैसला था। पूरी टीम पर ‘लाइफ टाइम बैन’ लग सकता था। इसलिए हमने बीसीसीआई की चेयरमैन की बात सुन ली।’ उन्होंने आगे बताया, ‘दौरे पर हमने पहला वनडे मैच जीता था। इसके बाद हम दिल्ली गए। उस वक्त बोर्ड के प्रेजिडेंट कैमरून दुबई में थे, जो दिल्ली से कुछ ही घंटों दूर है। उन्होंने मुझसे कहा वह अब भी हमसे मिलने नहीं आएंगे।’
ऐसा था घटनाक्रम
वह बताते हैं, ‘हिंड्स और कैमरून ने आने का फैसला किया, लेकिन मेरे ख्याल से वह वनडे सीरीज से दो सप्ताह बाद का था। उस वक्त तक अधिकतर खिलाड़ी वापस चले जाते। सिर्फ टेस्ट टीम यहां रह जाती। इसके बाद हमने दूसरा मैच खेला, जिसमें हार मिली। तीसरा मैच बारिश की वजह से नहीं हो सका और हमें एक अतिरिक्त सप्ताह दिल्ली में बिताना पड़ा। यहां एक बार फिर कैमरून ने हमसे मिलने से इनकार कर दिया। इसके बाद हम धर्मशाला गए, जहां चौथा मैच होना था। यह मैच हमारा आखिरी रहा।’
बीसीसीआई ने की थी पेशकश
बता दें कि दौरा बीच में छोड़ने के बाद ब्रावो को कभी वनडे टीम में शामिल नहीं किया गया। 2014 में धर्मशाला में खेला गया मैच तत्कालीन कप्तान ब्रावो का आखिरी वनडे साबित हुआ। उन्होंने बीसीसआई की तारीफ में कहा, ‘दौरा छोड़ने को लेकर बीसीसीआई की ओर से हमें कहा गया कि जो भी नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई कर दी जाएगी, लेकन हमने इनकार कर दिया। हमने कहा बोर्ड को इस मामले को सुलझाना चाहिए। बीसीसीआई ने हमें काफी सपॉर्ट किया।’
भारत दौरा बीच में छोड़ने पर पहली बार बोले ड्वेन ब्रावो
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