दिनेश कुमार/मुंबई।। खुशनुमा माहौल और संपन्न परिवार में लगभग दो पीढ़ियों बाद जन्मी इकलौती बेटी परी उर्फ डॉ. परीन सोमानी आज भी बेहद हंसमुख और बुलंद हौंसले वाली सख्शियत हैं लेकिन उनके जीवन के संघर्षों को सुनकर कोई भी उनकी सकारात्मक ऊर्जा का मुरीद हो जाएगा। शायद इसीलिए आज उनकी पहचान एक मोटीवेशनल स्पीकर के रूप में है। दरअसल उनका जीवन ही एक मोटीवेशन है। डॉ. परीन सोमानी जब अपने जीवन के उतार चढ़ावों का जिक्र करती हैं तब भी उनके चेहरे पर आत्मविश्वास ही झलकता है। वह बताती हैं कि उनके जीवन के शुरुआती दिन दादा, दादी, पिता मां सभी के लाड प्यार में गुजरा, घर में किसी चीज की कभी कोई कमी महसूस नहीं हुई। यहां तक कि मुझे लड़की-लड़का के भेद तक का एहसास नहीं हुए। शुरू से ही खुशमिजाज रही, सभी से हंसना बोलना, स्कूल के तमाम आयोजनों में पार्टिसिपेट करना बड़े उत्साह पूर्वक करती रहीं। लेकिन उम्र और समय रुकता नहीं है, और समय के साथ वह समय भी आया जब मेरी शादी हुई। हालांकि मेरा एनआरआई बनने की कोई इरादा नहीं था, क्योंकि यहां रहकर लोगों की सेवा में जो आनंद है वह कहीं और नहीं, बावजूद मेरी खुशियों और परंपराओं का ख्याल रखते हुए घर वालों ने बहुत बड़ा एनआरआई परिवार चुना। शादी होने के बावजूद भी कुछ समय मैं इंडिया में ही रही लेकिन चूंकि मैं अपना काम और शौक छोड़कर जाना नहीं चाहती थी बावजूद मुझे जाना पड़ा और ससुराल में भी मुझे वही प्यार मिला जो घर में मिलता था। मेरा सबसे प्रिय सपना एनजीओ के साथ जुड़कर सेवा करना था लेकिन घरवाले चाहते थे कि मैं अपना बिजनेस देखूं और खुश रहूं लेकिन मुझे जो आनंद सेवा कार्य में मिल रहा था वह उसमें नहीं मिल सका। हालांकि चूंकि कुछ करते रहने का जुनून था इसलिए मैंने बैंक में नौकरी ज्वाइन कर ली उसे भी मैंने पूरी शिद्दत से की। जहां, बाहर के लोगों को देखकर ही लोग काना-फूंसी करने लग जाते थे, ऐसे संस्थान में मैंने शीर्ष पर अपना स्थान बनाया और वहां भी मुझे सभी का भरपूर स्नेह मिला।
मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानने वाली डॉ. परीन सोमानी की उपलब्धियों के बारे में बात करें तो वह उपलब्धियां बहुत ही कम लोगों को नसीब होती हैं हालांकि उनके जीवन में दुखों की बात करें तो वह भी अपार रहीं हालांकि उन्होंने तकलीफों को कभी अपने मस्तिष्क पर हावी नहीं होने दिया और उनसे लड़ते हुए जीत दर्ज की और फिर से वह मुकाम हासिल किया जो उनकी अपनी च्वाइस थी। तमाम अवार्ड, उपलब्धियां अपने नाम करने के बावजूद भी ना तो उनके चेहरे पर किसी प्रकार का घमंड नजर आता है न तो उनकी फितरत में। यह बताना भी जरूरी है कि जिस समय महिलाओं को आगे पढ़ने नहीं दिया जाता था, उस समय डॉ. परिन ने स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण की और अपनी पढ़ाई आगे भी जारी रखी। यही वजह है कि उनके पास जितनी डिग्रियां हैं उन्हें गिनकर कोई भी सोच में पड़ जाएगा।
दुनिया के 78 देशों में जाकर वहां के अनुभवों को संजो चुकीं डॉ. परीन को अपना ही देश सबसे प्यारा लगता है हालांकि यहां की कुछ चीजों को लेकर दुखी तो होती हैं इसके बावजूद भी उन्हें अपनापन अगर कहीं लगता है तो वह है अपना देश भारत। हिन्दीं और इंग्लिश में जब वह धाराप्रवाह बोलती हैं तो उनकी आवाज की मिठास हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है और हम भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए। उनकी काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने छह डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है। डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) शिक्षा मीडिया के क्षेत्र में, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) शिक्षा नेतृत्व के क्षेत्र में, मानविकी (ह्यूमैनिटी) क्षेत्र में मानद डॉक्टरेट (ऑनर्स कोर्स), दो डॉक्टरेट की उपाधि सम्मान के रूप में उन्हें प्रदान किया गया है, जिनमें पहली लिटरेचर (साहित्य) में डि.लिट् और दूसरी ग्लोबल एजुकेशन (वैश्विक शिक्षा) में। साथ ही उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पांच बार मान्यता दी गई है। वह बताती हैं कि शिक्षा, महिला अधिकारिता और युवा विकास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर समाज की मदद करने के उद्देश्य से उन्होंने दुनिया भर के 87 से अधिक देशों की यात्रा की है और वह स्वतंत्र अकादमिक विद्वान, शिक्षक, टेडएक्स स्पीकर, अंतर्राष्ट्रीय मोटीवेशनल स्पीकर, लेखक, मानवतावादी, परोपकारी और बहु-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के क्षेत्रों में विजेता रही हैं।
डॉ. परिन सोमानी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्व विद्यालयों के लिए एक विद्वान के रूप में एकेडेमिया में जुडी हुई हैं। वह सिंडिकेट सदस्य हैं, वहीं संत मदर टेरेसा विश्वविद्यालय, विजिटिंग रिसोर्स पर्सन, गुजरात यूनिवर्सिटी और सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी, फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी सहित कई और शैक्षणिक संस्थान एवं एनजीओ के साथ मिलकर कार्य कर रही हैं। परिन महज उन्नीस वर्ष की आयु में ही ग्यारह पुस्तक लिखकर लेखन जगत में अपना नाम रोशन कर चुकी हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी इनका योगदान रहा है। इन्होंने अहमदाबाद दूरदर्शन में वक्ता के रूप में काम किया है।
परिन एक अच्छी प्रभावकारी वक्ता (मोटिवेशनल स्पीकर) हैं। इन्होंने ग्रामीण और छोटे क्षेत्रों में जाकर वहां के लोगों को शिक्षा और मानव कल्याण हेतु प्रेरित किया है। डॉ. परिन सोमानी बेहद कम उम्र में ही दो बार कैंसर ग्रषित हो गयी थी और डॉक्टरों ने उम्मीद ही छोड़ दी थी, किन्तु अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से डॉ. सोमानी अपनी जिंदगी की जंग जीत कर आई। डॉ. परिन सोमानी के अड़तीस से अधिक शैक्षिक पत्रों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए हैं। पंद्रह से अधिक इनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। डॉ. परिन सोमानी शिक्षा जगत के साथ साथ ग्लैमर जगत में भी कदम रख चुकी हैं। वह मिसेज इंडिया 2021 की विजेता, मिसेज यूनिवर्स इंटरनेशनल 2021 की विजेता, मिसेज ब्रिट एशियन 2021 की विजेता, मिसेज इंडिया ग्लोबल 2021 की विजेता और मिसेज क्वीन ऑफ इंडिया 2021 की दूसरी रनरअप रही हैं।
सेवा के प्रति उनका समर्पण तो ऐसा है कि वह नहीं चाहती हैं कि दुनिया में कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के रहे। यही कारण है कि झारखंड में उन्होंने गरीब बच्चों के लिए बन रहे एक स्कूल में अच्छा खासा सहयोग देकर उसे संचालित करने में मदद कर रही हैं। डॉ. परीन सोमानी की तीन बेटियां हैं और तीनों ही बेटियां उनका नाम रोशन करने में कोई कमी नहीं रख रही हैं। तीनों चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। हर क्षेत्र में नंबर वन पर रहने का मद्दा रखने वाले डॉ. समानी से उनसे आगे योजनाओं के बारे में बात करने पर वह कहती हैं कि मेरा संपूर्ण जीवन ही सेवा को समर्पित है, जिसे मैं आजीवन बरकरार रखूंगी।
जीवन की तमाम मुश्किलात को पार कर लोगों में खुशियां बांटने वाली सख्शियत हैं डॉ.परीन सोमानी
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