मुंबई। आचार्य महाप्रज्ञ विधानिधि फाउंडेशन एवं तेयुप दक्षिण मुंबई के तत्वावधान में आचार्य तुलसी का 105 वा जन्मदिवस अणुव्रत दिवस के रूप में दिगम्बर आचार्य विभवसागर जी म.सा , मंदिरमार्गी मुनिप्रवर भक्तिवल्लभ विजय जी म.सा , साध्वी आणिमाश्रीजी व साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी तथा श्रमणसंघ से महासती मंगलज्योति म.सा महासती रुचिता श्रीजी म.सा आर्यिका ओम श्री माताजी आदि बीस साधु साध्वियों की पावन सांनिध्य में आयोजित हुआ। मलबार हिल के लोकप्रिय आमदार मंगलप्रभात लोढा, मुख्या तिथि के रूप में उपस्थित हुए।
पूज्य आचार्य विभवसागर जी म.सा ने कहा आचार्य तुलसी उस दिव्यात्मा का नाम है , उस फौलादी संकल्प का नाम है, जो सोचा वह किया और पाया। वो जानते थे जीवन फूलो की सेज नही संघर्षो की कहानी है। न रुके , न थके, वे चले नदी की धारा की तरह समुद्र की तरफ ज्ञान के महासागर आचार्य तुलसी ने दुनिया को रोशन कर दिया। उनके जीवन के दो सूत्र थे आत्महित , प्राहित। आत्महित के लिए साधन – आराधना की ओर परहित के लिए अणुव्रत व शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। भगवान महावीर के अहिंसा व अपरिग्रह के सूत्रों को वर्तमान शैली में प्रस्तुत करने के लिए आंदोलन का सूत्रपात किया। जैन का विश्वविद्यालय बनाने वाले ये इकलोते आचार्य थे। उन्होंने भारत के लगभग सतरह प्रान्तों की पदयात्रा कर नया कीर्तिमान बनाया था। ऐसे महान प्रभावशली आचार्य तुलसी को नमन।।
मुनि भक्तिवल्लभ विजय जी म.सा ने कहा आचार्य तुलसी विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उनके हर कार्य मे विराटता के दर्शन होते थे। समण श्रेणी की स्थापना कर उन्होंने जिनशासन की अतीव प्रभावना कि है। इसलिए उनके महान प्रभावक आचार्य कहा जा सकता है। ऐसा लग रहा है महावीर की तरह घट घट में तुलसी का वास है। उनका उदारवादी दृष्टिकोण , सम्प्रदायातीत चिंतन हम सभी के लिए अनुकरणीय है।
महासती रुचिता श्रीजी म.सा ने कहा विश्व क्षितिज पर सूर्यसम तेजस्वी कुछ विशिष्ट व्यक्तित्व उदित होते है। जिनके प्रभाव मण्डल से सम्पूर्ण विश्व आलोकित हों उठाता है। जिनके अवदानों की श्रंखला , विश्व इतिहास के पृष्ठ पर अभिनव कथा को सृजन कर रही है। उन विश्व विश्रुतियो की परंपरा में एक नाम है आचार्य तुलसी । साध्वी आणिमाश्रीजी ने अपने आराध्या को अभिवंदन करते हुए कहा विरल विशेषताओ के विशिष्ट संवाहक थे आचार्य तुलसी मानव मन मे अध्येता व वात्सल्य वारिधि थे । आचार्य तुलसी उन्होंने धर्मसंघ को अभिसिंचन संपोषण दिया। सम्पूर्ण मानव जाति के विकास और उत्थान को नई दृष्टि ,नई दिशा और नई ऊर्जा से संप्रेरित किया। यू लगता है जहाँ कही भी नजर पसारे वही आचार्य तुलसी कर्तव्य मुखर होकर बोल रहा है। उनके कर्तव्य की कहानी सदियों सदियों तक अनुगूँजीत होती रहेगी। आचार्य तुलसी की आखों का एक सुनहरा सपना था जैन एकता । जैन एकता के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया। आज उनके जन्मदिवस पर आचार्य विभवसागर जी म.सा संघ मुनि भक्तिवल्लभ विजय जी म. सा एवं महासती मंगल ज्योति जी म.सा , रुचिता श्रीजी म.सा , ओम श्री माताजी का पदार्पण हुआ है। सैकड़ों भाई बहनों के साथ आप पधारे है। दिगम्बर , श्वेतांबर, मंदिरमार्गी, स्थानकवासी, तेरापंथी हम सब मिलकर उनको यह सुमन अर्पित कर रहे है।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा पूरे देश को नैतिकता की रोशनी प्रदान करने वाले महासूर्य का नाम है आचार्य तुलसी। इंसान को इंसानियत का अहसास कराने के लिए उन्होंने अणुव्रत का दीप प्रज्वलित किया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति व प्रथम प्रधानमंत्री से लेकर सैकड़ों बड़े बड़े नेता आचार्य तुलसी से मिले व अणुव्रत के समर्थक बने । आंदोलन को व्यापक रूप दिया। नालंदा व तक्षशिला की तरह जैन विश्व विद्यालय की स्थापना कर प्राच्य विधाओ को सुरक्षित रखने का महनीय कार्य किया है। आज उस विश्व विद्यायल से हजारों दिगम्बर, मंदिरमार्गी, स्थानकवासी, तेरापंथी साधु साध्वियों ने बी.ए, एम.ए. पी.एच. डी की डिग्री प्राप्त की है। यह सब आचार्य तुलसी का ही उपकार व महान अवदान हो। मुख्य अतिथि मंगलप्रभात लोढा ने कहा आचार्य श्री तुलसी की निर्णय शक्ति बड़ी गजब की थी। आज तेरापन्थ समाज ने जो तरक्की की है, उसका बहुत बड़ा कारण आचार्य तुलसी की निर्णय क्षमता । आचार्य तुलसी न सिर्फ तेरापन्थ समाज या जैन समाज के लिए ही नही सम्पूर्ण मानव जाति के हित के चिंतन के लिए कार्य किया। इसलिए वह मानवता के मसीहा कहलाए । उन्होंने ने कहा आचार्य तुलसी जैसे महापुरुष को तो भारत रत्न जैसा सम्मान मिलना चाहिए। पूरा समाज साथ दे मैं इसके लिए लीड लेने को तैयार हूं। साध्वी सुधाप्रभाजी ने काव्यात्मक कुशल मंच संचालन करते हुए कहा कार्तिक शुक्ला दिव्तीया को एक फूल खिला था राजस्थान की सूखी धरती पर जिसकी सौरभ से पूरा पर्यावरण सुवासित हो गया। उनके कर्तव्य की सौरभ हवा के रथ पर आरूढ़ होकर दिग दिगन्त में फैल गई। वो पुष्प नही महापुष्प थे आचार्य तुलसी। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने काव्याजलि के द्वारा अर्चा की साध्वी स्मतव्यशाजी ने स्वरांजलि के द्वारा प्रस्तुति की। साध्वी कर्णिका श्रीजी ने भावांजलि की अभिव्यक्ति दी। सभा के कार्याध्यक्ष मनोहर गोखरू, महिला मंडल अध्यक्षा जयश्री बड़ाला, आचार्य महाप्रज्ञ विधा निधि फाउंडेशन के ट्रस्टी एस .के.जैन, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रमेश चौधरी, तेयुप अध्यक्ष रवि डोसी, महिला मण्डल शर्मिला धाकड़, ने विचाराभिव्यक्ति दी। भारती सेठिया, पुष्पा कच्छारा, मेनका डागलिया, शर्मिला धाकड़, शारदा सेठिया, वीणा बेगवानी , दिनेश धाकड़, नितेश धाकड़, रवि डोसी, नवीन सेठिया, राहुल मेहता, राकेश कच्छारा, रीना मेहता, सुनील आँचलिया , ने भावपूर्ण मंगल संगान किया। प्राक संचालन राहुल मेहता ने किया।
सम्पूर्ण श्रावक समाज ने कहा साध्वी श्रीजी आपकी प्रेरणा आपकी सोच से ही ऐसा संघप्रभावक व गरिमामय कार्यक्रम स्कूल प्रांगण में पहली बार समायोजित हुआ है। हम सब इस भव्य कार्यक्रम को देखकर अभिभूत है। चारो समाज की विशाल उपस्थित मन को बाग बाग कर रही है। दीपक डागलिया, प्रशांत जवेरी, अशोक, रमेश सोहनलाल सिंयाल, दिनेश राजावत,हीरालाल चौहान, नितेश पालरेचा, प्रकाश राजावत, सुंदरलाल सांखला, रविन्द्र सिंयाल, सुमेर सुराणा, गणपत डागलिया,रमेश मेहता, लक्मिलाल डागलिया, सुरेश डागलिया, सुरेश मेहता, सुखलाल सिंयाल, भवरलाल डागलिया, इंदरमल धाकड़, जगदीश उमरिया, विशेष रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में किशनलाल डागलिया, रवि दोशी, धनपत बैद, देवेंद्र डागलिया,पवन बोलिया,अशोक धींग, नवीन सेठिया, राहुल मेहता ,नितेश धाकड़ का श्रम लगा। यह जनकारी तेयुप दक्षिण मुम्बई के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।