कांदिवली। सूर्योदय की प्रथम रश्मि ने आपका अभिषेक किया। सहगामी साध्वियों ने संकल्पों का गुलदस्ता भेंट किया। पारिवारिक जनों व सभी संस्थाओं ने हार्दिक बधाई देते हुए सुमधुर स्वर लहरियों से अरिहंत बिल्डिंग को अर्हतमय बना दिया।
अरिहंत बिल्डिंग से कांदिवली राजभवन तक रैली के साथ आचार्य श्री तुलसी – हॉल में शासन श्री जी ने ज्योंहि प्रवेश किया मुनि श्री जी ने अपनी सहोदरी साध्वी श्री जी को मंगल भावों से वधार्पित किया।
नमस्कार महामंत्रोउच्चारण से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। गुरु स्तुति के पश्चात – उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमार जी ने महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा श्री जी , आदि चारित्रात्माओं के मंगल संदेशों का वाचन किया।
मुनि श्री अमन कुमार जी स्वामी जी ने स्वरचित मधुर गीत का संगान कर व मुनि श्री नमि कुमार जी ने पंचोले का तप भेंट करते हुए आरोग्यमय दीर्घ जीवन की मंगल कामना की।
उमड़ते हुए उल्लास से साध्वी श्री शकुंतला कुमारी जी , संचितयशा जी , जाग्रतप्रभा जी , रक्षितयशा जी , ने बुलेटिन प्रोग्राम के माध्यम से साध्वी श्री जी के व्यक्तित्व और कर्त्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा – आपने अपने जीवन की बगिया को उदारता , निर्मलता , ऋजुता , मृदुता , सहिष्णुता इत्यादि सदगुणो के पुष्पों से महकाया है। आपने अपनी ओजस्वी प्रभावशाली प्रवचन शैली से जन – जन की चेतना को जाग्रत करने का प्रयास किया है। और मृदु व्यवहार से सबके दिल को जीता है। “ आसमां से आई शुभकामनाएं “ – सुमधुर स्वर लहरियों के साथ बधाई देते हुए साध्वी वृन्द ने कहा – हम आपकी छत्र छाया में दीर्धकाल तक आनंद के सागर में डुबकियां लगाती रहें|
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ने अपनी सहोदरी भगिनी को ५० वें दीक्षा दिवस पर “ स्वर्ण जयंती वर्ष , सबमें छाया हर्ष “ इस मधुर गीत से वर्धापित किया आपने विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहा – आज मेरा मन मयूर ख़ुशी से झूम रहा है। मैं किन सब्दों से आपका अभिनन्दन करू ? आपने जिन शासन की ज्योति और बैद परिवार की दीप ज्योति बनकर महान कार्य किए हैं। साध्वी श्री जी के साथ बीते बचपन की यादों को उल्लेख करते हुए २५ उपासक ३८ प्रेक्षा प्रशिक्षक, श्रावक समाज के द्वारा २५० प्रत्याख्यान का व एक वर्ष के लिए सैकड़ो भाई – बहिनों ने संकल्प – सुमनों का उपहार भेंट किया।
शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने अपनी स्वर्ण जयंती के शुभ अवसर पर अमृत पुरुष आचार्य श्री तुलसी , महायोगी आचार्य श्री महाप्रज्ञ , वीतराग कल्प आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रति अनंत कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा – मुझे सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति , साध्वी प्रमुखा श्री लांडाजी व ऋजुमना मातु श्री वदनाजी के कर कमलों से दीक्षित होने का सौभाग्य मिला जो मेरे जीवन की अनमोल थाती है।
आपने मातृहृदया , वात्सल्य की प्रतिमूर्ति महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा श्री जी को वंदन स्मरण करते हुए कहा – साध्वी प्रमुखा श्री जी का मेरे सिर पर वरद हस्त है। समय – समय पर आपके प्राप्त सन्देश मेरे लिए ओज आहार का काम करते हैं और मेरी चेतना में नई ऊर्जा का संचार करते है। शासन श्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने मुझे दीक्षित होते ही साधुत्व के संस्कारों से सिंचित किया। शासन गौरव साध्वी श्री राजीमती जी व साध्वी श्री कल्पलता जी , शासन श्री मधुरेखा जी आदि अनेक साध्वियों का मुझे समयोचित मार्गदर्शन मिलता रहा।
आपने वैराग्य के सवाल का जवाब देते हुए कहा – मेरे वैराग्य का कारण आचार्य श्री तुलसी का आकर्षक आभामंडल और प्रेरक प्रवचन रहा। आपने कहा – तेरापंथ धर्म संघ एक नंदनवन है , मैं उसकी शीतल छांह में हूं। तेरापंथ धर्म संघ एक कल्पवृक्ष है मैं उसकी एक विकासमान कलिका हूं। तेरापंथ धर्म संघ रत्नाकर है , मैं उसकी एक नन्हीं सी बून्द हूं। यह मैं अपना सौभाग्य मानती हूं।
आपने अपने संयम जीवन के संस्करणों को यादों की चाशनी में घोलते हुए कहा – मां के दूध को छानकर कोई पी सकता है तो मैं उन संस्करणों को सुना सकती हूं लेकिन न कोई मां के दूध को छानकर पी सकता और न सोमलता उन संस्मरणों का साकार चित्रण कर सकती।
संयम जीवन की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा – संसार में झमेले , ही झमेले , साधु जीवन में मेले ही मेले। संसार में द्वन्द ही द्वन्द , साधु जीवन में आनंद ही आनंद। संसार में तेरा – मेरा , साधु जीवन में न तेरा न मेरा। संसार में कर्मों का अंधेरा और साधु जीवन में मुक्ति का सवेरा। आपने आगे कहा – प्रकाशमय मंजिल की सीढ़ी पर आरोहण करवाने में शासन श्री गणेशमलजी स्वामी , मुनि श्री चम्पालाल जी मिठिया का , मेरे संसार पक्षीय पिता श्री रतनलालजी बैद व मातु श्री कल्याण मित्रा , श्रद्धा की प्रतिमूर्ति केशर देवी के उपकारों का भी योगदान रहा है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए आपने गौरव के साथ कहा – मैंने न पढ़ा , न सुना कि कोई मुनि भ्राता अपनी साध्वी बहिन को इतनी लम्बी पद यात्रा करके स्वर्ण जयंती पर बधाई देने आये। मैं इस अवसर पर मुनि श्री को तहेदिल से आभार प्रगट करती प्रगट करती हूं एवं सहवर्ती संतद्वय को वंदन करती हूं। मेरी संसार पक्षीय भाभी साध्वी विनम्र यशा को भी इस अवसर पर स्मरण करती हूं।
इस मौकेपर साध्वी श्री जी ने आगामी जीवन में अधिकांशतः समय मौन ध्यान , जप , स्वाध्याय में व्यतीत करने का संकल्प किया। सहदीक्षित शासन श्री साध्वी श्री शांति कुमारी जी को भी बधाई दी मंगल – भावना प्रेषित करने वाले चरित्रात्माओं के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी संचितयशा ने किया।
पारिवारिक जनों में विजयराज जी बैद , महेंद्र बैद , आशीष बैद पंकज बैद , नेमचंदजी चौपड़ा , विमल जी चौपड़ा , कांतिलाल जी डागा , महेंद्र डाकलिया व परिवार के अन्य सदस्यों ने भी साध्वी श्री जी को बधाई देते हुए हर्ष प्रकट किया।
समाज के वरिष्ठ श्रावक तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेंद्र कोठारी , महासभा के पूर्व अध्यक्ष किसनलाल जी डागलिया , मुंबई सभा के पूर्व अध्यक्ष भंवरलाल जी कर्णावट , कार्याध्यक्ष मनोहर गोखरू , मंत्री नरेंद्र बांठिया , श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन के पूर्व अध्यक्ष रमेश धाकड़ , सिरियारी संस्थान के अध्यक्ष ख्यालीलाल तातेड़ , अर्जुनलाल जी चौधरी , मंत्री कमलेश बोहरा , कोषाध्यक्ष , जवरीमल नौलखा , वित्त व्यस्थापक जयचंद जी सांखला , मुंबई महिला मंडल अध्यक्ष जय श्री बडाला , टी पी एफ के राष्ट्रीय सहमंत्री मनीष कोठारी , मुंबई अध्यक्ष दीपक डागलिया , जैन भारत महामंडल के पूर्वाध्यक्ष रमेश जी धाकड़ , तेयुप के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष वी सी. भलावत अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रमेश चौधरी , जीवन विज्ञान के राष्ट्रिय संयोजक प्यारचंद मेहता , अखिल भारतीय तेयुप कार्यकर्त्ता दिनेश सिंघवी , व स्थानीय संस्थाओं के संयोजक संयोजिका , अध्यक्ष , मंत्री , विनोद डागलिया , अशोक कोठारी , दिलीप चपलोत सुशीला मादरेचा , गौमती मेहता व उधना के अध्यक्ष बसंती – लाल जी नाहर , पर्वतपाटिया से ज्ञानचंद जी व सभी श्रावक – श्राविकाओं ने खड़े होकर साध्वी श्री जी को संकल्प सुमन व सुरभि पत्रिका भेंट की। किशोर धाकड़ ने नौ की तपस्या का उपहार भेंट किया। पत्रकार अर्जुनजी मेड़तवाल ने साध्वी श्री जी के प्रवचनों का संकलन कर एक पत्रिका भेंट की।
गरिमामय उपस्थिति
महाराष्ट्र , गुजरात , असम , बिहार , उड़ीसा , राजस्थान , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , पंजाब , हरियाणा , नेपाल – भूटान इत्यादि क्षेत्रों के सैकड़ों महानुभाव उपस्थित थे।
स्वर्ण जयंती वर्ष, सबमें छाया हर्ष
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