वाशिंगटन: भारत और चीन के बीच संघर्ष की नौबत आने पर अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा। यह बात व्हाइट हाउस के चीफ आफ स्टाफ मार्क मीडोज ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए दो एयरक्राफ्ट कैरियर की तैनाती के बाद कही। उन्होंने कहा कहा अमेरिकी सेना अपने रिश्तों को निभाने के लिए मजबूती से डटी हुई है। यह चाहे भारत-चीन का मामला हो या दुनिया में कहीं और किसी संघर्ष का मामला हो। उन्होंने कहा कि हमारा संदेश साफ है।
तमाशबीन बनकर नहीं रह सकते
मार्क मीडोज ने कहा कि हम तमाशबीन बनकर किसी और महाशक्ति को बागडोर संभालते नहीं देख सकते। यह चाहें इस क्षेत्र की बात हो या दुनिया में कहीं और। फाक्स न्यूज से बातचीत में मार्क ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारा संदेश साफ है। हमारी सेना मजबूत है और मजबूत बनी रहेगी। मार्क को बताया गया कि भारत ने चीन से खूनी झड़प के कारण 59 चाइनीज एप पर पाबंदी लगा दी है। उनसे सवाल किया गया कि इस क्षेत्र में दो एयरक्राप्ट कैरियर रोनाल्ड रीगन और निमित्ज की तैनाती का क्या कारण है।
चीन को दे दिया है संदेश
मार्क ने कहा कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने एयर क्राफ्ट भेजकर दुनिया को यह संदेश देना चाहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति हम ही हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रपति ने अमेरिकी सेना पर बहुत धन खर्च किया है। यह धन सिर्फ सैन्य साजो सामान पर ही नहीं खर्च किया है बल्कि ऐसे पुरुषों और महिलाओं पर भी खर्च किया जो हर दिन अपना बलिदान देने को तैयार रहते हैं।
कई देशों से सीमा विवाद में उलझा ड्रैगन
बता दें कि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन का पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। बीजिंग ने इस इलाके में कृत्रिम द्वीप बनाकर उनका सैन्यीकरण कर दिया है। चीन ने पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा ठोक दिया है। उधर वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान अपने-अपने दावे कर रहे हैं। उधर सोमवार को फाक्स न्यूज के मंडे टॉक शो में रिपब्लिकन पार्टी के शक्तिशाली सीनेटर टॉम कॉटन ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
इसलिए भेजा है एयर क्राफ्ट कैरियर
टॉम कॉटन ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में दो अमेरिकी एयर क्राफ्ट कैरियर को ताइवान के खिलाफ किसी जुर्रत पर चीन को फौरन जवाब देने के लिए भेजा गया है। यह तो एक कारण है। आप यह देखिए कि चीन ने भारत के साथ क्या किया। चीन ने भारत पर हमला किया जिसमें भारत के 20 जवानों को बलिदान देना पड़ा। चीन की सीमा से सटा कोई भी देश चीन की हरकतों से आज सुरक्षित नहीं है। जो देश अमेरिका के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं उनके साथ हम भी बेहतर संबंध रखना चाहेंगे।