मुंबई। मुंबई का आजाद मैदान जहां से आगे बढ़ने की अनुमति आंदोलनकर्ता को नहीं मिलती है, वहां पूरे वर्ष राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, छात्र संगठन, मजदूर संगठन, मुस्लिम, ईसाई, बंजारा और अन्य समाज के अलावा व्यापारी संगठन धरना, अनशन और आंदोलन करते हैं। वर्ष 2018 में कुल 638 आंदोलनों में 2.58 लाख लोगों के हिस्सा लेने की जानकारी आरटीआई के जरिए मिली है। यह जानकारी मुंबई पुलिस ने दी है। आजाद मैदान में प्रतिदिन औसतन 2 आंदोलन होते हैं और 704 आंदोलकारी यहां मौजूद रहते हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई पुलिस से जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2018 में आजाद मैदान में हुए विभिन्न प्रकार के आंदोलन और उसमें शामिल हुए लोगों की संख्या बताए। आजाद मैदान पुलिस ने अनिल गलगली को वर्ष 2018 में आजाद मैदान में हुए आंदोलनों की संख्यात्मक आंकड़े उपलब्ध कराए। वर्ष 2018 के कुल 12 महीनों में 638 आंदोलन का साक्षी आजाद मैदान रहा, जिसमें 2 लाख 57 हजार 220 लोगों ने हिस्सा लिया। सबसे अधिक आंदोलन सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए। कुल 301 आंदोलन पुलिस के रिकॉर्ड पर दर्ज हैं, जिसमें 40 हजार 101 लोगों ने हिस्सा लिया। जबकि सर्वाधिक भीड़ अन्य संगठन और व्यापारी संगठनों की थी। कुल 167 आंदोलन में 87 हजार 746 लोग शामिल हुए थे। मजदूर संगठनों द्वारा आयोजित 68 आंदोलन में 39 हजार 532 लोगों ने हिस्सा लिया था। छात्र संगठन के 9 आंदोलन में 1392 लोग उपस्थित थे। मुस्लिम संगठनों द्वारा 9 बार किए आंदोलन में 26 हजार 151 लोग शामिल थे। ईसाई, बंजारा और अन्य समाज द्वारा 44 आंदोलन पूरे वर्ष किए गए थे जिसमें 36 हजार 552 लोग जमा हुए थे।
भाजपा, राष्ट्रवादी, कांग्रेस, बसपा और आरपीआई इन राजनीतिक दलों ने सिर्फ 29 आंदोलन आजाद मैदान पर किए जिसमें कुल मिलाकर 25 हजार 746 लोगों ने हिस्सा लिया था। भाजपा ने सिर्फ 5 बार ही आंदोलन किया था लेकिन 18 हजार 330 इतनी भीड़ इकट्ठा की थी। जबकि आरपीआई ने सबसे अधिक 18 आंदोलन किए थे जिसमें 999 लोग ही शामिल हुए थे। कांग्रेस के 12 आंदोलन में 1642 लोग ही पहुंच पाए थे। राष्ट्रवादी ने सिर्फ 1 ही आंदोलन किया था जिसमें 3500 लोग उपस्थित थे। बसपा के 3 आंदोलन में 1275 लोग जमा हुए थे। शिवसेना ने एक भी बार किसी भी तरह का आंदोलन नहीं किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखी चिठ्ठी में अनिल गलगली की प्रमुख मांग हैं कि आजाद मैदान तक ही आंदोलनकर्ता पहुंच सकता हैं। ऐसे में मुंबई पुलिस को आंदोलन में शामिल प्रतिनिधिमंडल को किसी मंत्री या सरकारी बाबू को ज्ञापन देने की स्थिती में बंदोबस्त में मंत्रालय, विधानसभा या मंत्री के सरकारी बंगले पर लेकर जाने और वापस आजाद मैदान तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी होती हैं। इसमें समय और इंधन की बर्बादी होती हैं। इसलिए आजाद मैदान पर बनाए गए ब्यारेक्स में अगर कोई मंत्री या सरकारी बाबू आकर आजाद मैदान पर ही मिलकर ज्ञापन स्वीकार करेगा तो आम जनता और सरकार के बीच में समन्वय बढ़ेगा और समय की बचत होगी।
हर दिन आजाद मैदान में औसतन होते हैं 2 आंदोलन, रहते हैं 704 आंदोलनकारी
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