वाशिंगटन: दुनियाभर में इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा है। जलवायु परिवर्तन के कारण धरती जिस तरह गर्म हो रही है, उससे वैज्ञानिक चिंतित हैं। हालांकि इन सबके बीच आम लोगों के बीच एक और भी सवाल उठ रहा है। सवाल यह है कि अगर धरती इतनी गर्म होती जा रही है, तो मौसम इतना सर्द क्यों है? आम लोग ही नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मन में भी यह सवाल उठा है। उन्होंने ट्वीट करके सवाल उठाया, ‘आखिर ग्लोबल वार्मिग कहां गई?’
सवाल उठना लाजिमी
दुनिया के बड़े हिस्से में इस समय ठंड का प्रकोप है। अमेरिका के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जहां तापमान शून्य से भी 50 डिग्री नीचे चला गया है। बर्फबारी का दौर भी जारी है। भारत के भी पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हो रही है। कई स्थानों पर तापमान शून्य के नीचे पहुंच रहा है। इस सर्द मौसम में मन में यह सवाल आना लाजिमी है कि आखिर ग्लोबल वार्मिग का असर कहां है? अगर ग्लोबल वार्मिग वाकई समस्या है तो फिर इस भीषषण सर्दी का कारण क्या है?
ग्लोबल वार्मिग इस सर्दी को कुछ गर्म क्यों नहीं कर पा रही है?
जलवायु और मौसम को समझना जरूरी इस बात को समझने के लिए हमें जलवायु और मौसम का अंतर जानना होगा। लंबी अवधि में वातावरण की स्थिति को जलवायु कहा जाता है। वहीं किसी छोटी अवधि में वातावरण में जो हो रहा है, उसे मौसम कहा जाता है। मौसम निश्चित अंतराल पर बदलता रहता है। कुछ ही महीने के अंतराल पर आने वाले सर्दी और गर्मी के मौसम में बहुत बड़ा फर्क होता है। वहीं जलवायु वातावरण का एक समग्र रूप है।
बटुए और संपत्ति जैसा है फर्क
इस बात को आसान भाषा में ऐसे भी समझा जा सकता है कि मौसम आपके बटुए में रखे पैसे जैसा है। वहीं जलवायु आपकी संपत्ति है। बटुआ खो जाए तो कोई गरीब नहीं हो जाता, लेकिन संपत्ति नष्ट हो जाए तो व्यक्ति बर्बाद हो सकता है। जलवायु और मौसम का भी ऐसा ही संबंध है। जिस दिन आपके आसपास का तापमान औसत से कम होता है, ठीक उसी समय पूरी धरती का औसत तापमान सामान्य से अधिक भी हो सकता है।
आंकड़ों में स्पष्ट दिखता है अंतर
इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। दिसंबर, 2017 में जिस वक्त अमेरिका का कुछ हिस्सा औसत से 15 से 30 डिग्री फारेनहाइट तक ज्यादा सर्द था, उसी समय दुनिया 1979 से 2000 के औसत से 0.9 डिग्री फारेनहाइट ज्यादा गर्म थी। जब मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि इस सदी के अंत तक दुनिया का औसत तापमान दो से सात डिग्री फारेनहाइट तक ब़़ढ जाएगा, इसका यह अर्थ नहीं होता कि सर्दियां कम सर्द हो जाएंगी। इसका अर्थ है कि मौसम पहले की तरह ही सर्द होता रहेगा, लेकिन सर्दी का दायरा कम होने लगेगा।
एक अध्ययन के मुताबिक, 1950 के दशक में अमेरिका में सबसे गर्म और सबसे सर्द दिनों की संख्या लगभग बराबर थी वहीं 2000 के दशक में सबसे गर्म दिनों की संख्या सर्द दिनों से दोगुनी हो गई। इसका मतलब है कि सर्दी के मौसम में जबर्दस्त ठंड तो प़़ड रही है, लेकिन सर्द दिनों की संख्या कम होती जा रही है।
अमेरिका के कई इलाकों में आपातकाल, 1200 उड़ानें रद्द
आर्कटिक से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण दो तिहाई अमेरिका हाड़ कंपाने वाली सर्दी की चपेट में है। कई जगहों पर तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया है। ठंड ने पिछले कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। नेशनल वेदर सर्विस का कहना है कि अभी दो दिनों तक ठंड और बढ़ेगी। ओहायो, द ग्रेट लेक्स और न्यू इंग्लैंड के इलाके ठंड से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। मंगलवार शाम को शिकागो के आसपास तापमान माइनस 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। कई जगहों पर भारी बर्फबारी भी हुई है। खराब मौसम को देखते हुए विस्कॉन्सिन, मिशीगन और अलबामा में आपातकाल लागू कर दिया गया है। करीब 1,200 उ़़डानें भी रद्द कर दी गई हैं।
ट्रंप के ट्वीट से मचा बवाल
इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट पर हंगामा ख़़डा हो गया है। ट्रंप ने ट्वीट किया ‘कई जगहों पर तापमान माइनस 60 डिग्री तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में तापमान और गिर सकता है। लोग घर से भी नहीं निकल पा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिग को क्या हो गया है? कहां हो, कृपया वापस आ जाओ।’ ग्लोबल वार्मिग (जलवायु परिवर्तन) जैसी गंभीर समस्या को हल्के में लेने के लिए उनकी निंदा की जा रही है। इस ट्वीट में ट्रंप ने वार्मिंग गलत लिखा जिसके लिए भी उनकी आलोचना हो रही है।
Global Warming: धरती गर्म हो रही है, तो मौसम इतना सर्द क्यों?
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