बस्ती, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा ग्राम मरवटिया भवन के विकास खण्ड हर्रैया में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत दा मिलियन फार्मर स्कूल 7.0 के अंतर्गत किसान पाठशाला खरीफ 2024 का आयोजन कृषि विभाग द्वारा किया गया, जिसमें ग्राम प्रतिनिधि, पंचायत सहायक, सफाई कर्मचारी आदि मौजूद रहे। दो दिवसीय किसान पाठशाला का संचालन डॉ० एस सी गौतम द्वारा किया जा रहा है जिसमें उन्होंने खरीफ फसल उत्पादन हेतु और प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं अवयव के बारे में बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के सिद्धांत पर खेतों में बिना जुताई के फसलो का उत्पादन किया जाता है इस पद्धति मे देसी गोबर का खाद और ढैंचा, सनई या पटुवा का उपयोग करके सिर्फ निराई-गुड़ाई करके अच्छी फसल ली जा सकती है परन्तु प्रकृति खेती में रसायनों का बिल्कुल प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए यदि रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है तो ऐसे में प्रकृति खेती नहीं की जा सकती। कृषक बाबूराम ने प्रश्न किया क्या बिना जुताई एव मिट्टी पलटने पर फसल उत्पादन में कमी आ सकती है? इस पर डाॅ० एस० सी० गौतम ने बताया की खेत में बिना जुताई गुड़ाई करें यह प्रकृति खेती की व्यवस्था है जिसे गौ वंश आधारित खेती या प्रकृति खेती कहते हैं भारत में इस खेती की परंपरा बहुत पुरानी हैं, गौ आधारित प्रकृति खेती एवं उसकी तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी गई और पौध रोपण कैसे किया जाता है जीवामृत, हांडी खाद, घनाजीवामृत आदि बनाने की विधि बताते हुए गोमूत्र का प्रयोग करना तथा उसका लाभ भी बताया गया। डायरेक्ट सीडिंग ऑफ़ राइस के बारे में बताते हुए डा० शैलेश गौतम ने कहा कि इस समय 10 से 12 kg धान बीज प्रति एकड़ भूमि बुवाई के लिए पर्याप्त होता है जिससे कम लागत मे अधिक उपज लिया जा सकता है। कृषक हरि राम के द्वारा गन्ना में दीमक रोग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ब्यूबेरिया बेसियाना जैविक किट नाशक एव क्लोरोपाईरीफॉस 20% का उपयोग किया जाए। इस समय खरीफ फसल के उत्पादन में मक्का, अरहर, मूंग, उर्द, तिल,आदि की खेती करने की भी जानकारी दी गई।