धुलिया। धुलिया का ऐतिहासिक चातुर्मास परिसंपन्न कर आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्री जी के धरणगांव पर्दापण पर धरणगांववासियों को अत्यधिक उल्लास का अनुभव हो रहा था। संयोग से उसी समय धुलिया में चातुर्मास करने वाली साधुमार्गी संप्रदाय की साध्वीश्री समता श्री जी का भी धरणगांव में पर्दापण होने से सहज में दो धाराओं का संगम हो गया। सभी श्रद्धालुओं की बलवती प्रार्थना को देखते हुए मीराभवन में संयुक्त प्रवचन का कार्यक्रम रखा गया । साध्वीश्री निर्वाणश्री जी की सहवर्तिनी साध्वीश्री योगक्षेमप्रभाजी ने तेरापंथ धर्मसंघ का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा- भगवान महावीर का जीवन हमारे लिए प्रेरणा प्रदीप है। मातृभक्ति , विनय आदि उनके जीवन की ऐसी विशेषताएँ हैं जो वर्तमान के विषमता पूर्ण माहौल में व्यक्ति को नई दिशा दिखाती है। पूज्यवर के निर्देशानुसार साध्वीश्री खान्देश की धरा पर अध्यात्म का सींचन कर रही है। आज साध्वीश्री समता श्रीजी आदि से मिलकर हमें बड़ी प्रसन्नता है। साध्वीश्री प्रसिद्धिश्रीजी ने इस पर अवसर पर अपने भावपूर्ण उद्गार व्यक्त किए। साध्वी मधुरप्रभाजी ने ” भगवान तुम्हारे अंदर है’ गीत का मधुर संगान किया। साधुमार्गी जैन समाज के प्रमुख अजय जी पगारिया ने हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा- आज का यह माहौल सचमुच सौहार्द पूर्ण है। दोनों और से जो उदारता धुलिया दिखाई गई है,वह प्रसन्नता का विषय है साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने साध्वीश्री डा.योगक्षेमप्रभाजी व मधुरप्रभाजी को भेजा है हम आपका भावभरा स्वागत करते हैं। कार्यक्रम प्रातः 9.00 से 10.20 तक सुव्यवस्थित रूप से चला।धरणगांव के इस छोटे से प्रवास में शासन की अच्छी प्रभावना हुई।
धरणगांव में खिला धर्म का रंग
आचार्यों श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी आदि ठाणा-6 का धरणगांव में पर्दापण हुआ तो श्रद्धालुओं के चेहरे प्रसन्नता से पुलक उठे।एक लम्बे अंतराल के बाद उन्हें सुयोग प्राप्त हुआ था। आलोक कुमठ ,रमेश जी कुमठ ,राजेन्द जी कुमठ ,अरूण जी कुमठ आदि समस्त कुमठ परिवारों की निकटता से उपासना करवाते हुए साध्वीश्री जी ने कहा- धर्म जीवन के लिए एक संजीवनी बूंटी है। जो व्यक्ति धर्म का कुछ न कुछ अभ्यास प्रतिदिन करता रहता है। उसका जीवन उपवन कभी मुरझाता नहीं है। साध्वीश्री ने सभी परिवारों को सपरिवार गुरूदर्शन की भी विशेष प्रेरणा दी। साध्वीश्री लावण्यप्रभाजी ने कथा के माध्यम से क्रोध के दुष्परिणाम की चर्चा करते हुए उसके निग्रह की प्रेरणा दी। श्री मति उर्मिला, सरला ,अनीता , सरिता आदि बहिनों ने ,युवक उमेश कुमठ, विनय कुमठ ,आनंद आदि ने तथा ईक्षिका,प्रेक्षिका, उपांशु आदि सभी ने साध्वीश्री के प्रवास का पूरा लाभ लिया। जलगांव सभा के अध्यक्ष माणकचंद बैद ,तेयुप जलगांव के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र धाडे़वा आदि अनेक कार्यकर्ताओं ने साध्वीवृंद उपासना का लाभ लिया।
धुलिया में हुआ दो धाराओं का आध्यात्मिक संगम
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