वाशिंगटन: अमेरिका व इसके सहयोगी देशों ने SWIFT वित्तीय व्यवस्था से रूस के चुनिंदा बैंकों को अलग करने का फैसला लिया है। साथ ही रूस के सेंट्रल बैंक पर प्रतिबंध लागू कर दिया है। यह कदम यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर लिया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रतिबंधित रूसी कंपनियों की संपत्तियों को लेकर जांच पड़ताल के लिए संयुक्त टास्क फोर्स को नियुक्त करने पर भी सहमति व्यक्त की गई है। यह जानकारी अमेरिका (US), यूरोपीयन यूनियन ( EU) फ्रांस ( France), जर्मनी (Germany), इटली (Italy), ब्रिटेन (UK) और कनाडा के प्रमुखों ने संयुक्त बयान जारी कर दिया । सोसाइटी फार वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फिनांशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT) दुनिया की प्रमुख बैंकिंग मैसेजिंग सर्विस है जिसमें करीब 200 से अधिक देशों में 11,000 बैंक व संस्थान जुड़े हैं। इसमें भारत भी शामिल है। SWIFT एक वैश्विक बैंकिंग प्रणाली है।
बेल्जियम में स्थित SWIFT वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुचारू तरीके से चलाती है और इससे निकलना रूस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन जी-7 देशों के सदस्यों के साथ इसके लिए पहले से ही दबाव बना रहे थे। इसके अलावा रूस से सटी जिन देशों की सीमा है वे भी चाहते हैं कि पुतिन के देश को स्विफ्ट से बाहर किया जाए। इसके साथ अमेरिका में कुछ सीनेटर भी रूस को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन निर्देश की इस व्यवस्था से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। इनका मानना है कि दूसरे प्रतिबंधों की तुलना में SWIFT से बाहर करने पर रूस की अर्थव्यवस्था को कहीं अधिक नुकसान होगा।
पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्सक इलाके में 40 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिकों के आत्मसमर्पण करने की खबर है। रूस ने जंग की शुरुआत यहीं से की है। ऐसी जानकारी मिल रही है कि उन्होंने रूस समर्थित विद्रोही नेताओं के समक्ष हथियार डाले हैं। समर्पण करने वाले सैनिकों में कुछ घायल हैं, उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। पता चला है कि समर्पण करने वालों में कुछ महिला सैनिक भी हैं।